आज ही नहीं पता नहीं कब से मानव मन सोचता है।
मेरा मन तन दिल दिमाग जेहन बार-बार ई सोधता है।।
बात कुछ भी हो नीर-क्षीर की ताकत कौन मोचता है।
आस्तिक-नास्तिक सब कहते भगवान सब देखता है।।1
भ भूमि भवन भोग भाग्य भर्ता भस्म भूषण भासता।
ग गगन गमन गम गरिमा गो गरजन गर गान गावता ।।
व वायु वार वरण वतन वातायन वर वास वन वारता।
अ अनल अमल असल अक्षत अटूट अमोघ अमारता।2
न नीर नव नाथ नायक नाम नेक नमन नित निवारता।
भूमि गगन वायु अनल नीर है नित भगवान सवारता।।
सर्व काल का कटु सत्य मानव कहाँ कब कभी मानता।
यत्र-तत्र सर्वत्र हैं सब जीव-जन्तु महानता बखानता।।3
मुख में राम बगल में छुरी हुई राम से है अद्भुत दूरी।
किंकर कंचन कोह काम के कारन कलि काल कूरी ।।
भगवान भव भाव भक्त देखें चराचर मन भूरि-भूरी ।
देर है अन्धेर नहीं सबका हिसाब होवे वहाँ पूरि-पूरी।।4।
विद्या बल बुद्धि धन तन मान मन अहंकारी जो जन।
सब दिन जाहिं न एक समाना को कैसे माने वो मन ।।
पर पीड़ा रत स्वारथ महारथ को भी पेखें निज तन।
भगवान सब देखता दिखाता हैं माने नित मेरा मन।।5।।
शनिवार, 10 नवंबर 2018
।।भगवान सब देखता है।। God see everything
मंगलवार, 6 नवंबर 2018
दीवाली diwali/deepavali hindi poem
प्रभु राम के वनवास से अवध आगमन का सद पर्व।
छटा स्नेह प्रेम मान धन धान्य धर्म की फैलाये सर्व।।
दीपशिखा सा हेमाभ कान्ति आपको दे यह दीवाली ।
सब सुख सुविधा देवों सा दे हर जन को जग माली।।
साकेत कुल लक्ष्मी जनक सुता जग जननी जानकी।
पूरें नित नव आस जहां में हर हर जगत तनयकी।।
स्वीकार करें हार्दिक शुभकामनायें मेवाती नन्दन की।
शतरश्मि दहुदिशि फैले देश विदेश भारत भारती की।।
दीपावली की कोटिशः शुभकामनाओं सहित
आपका गिरिजा शंकर तिवारी "शांडिल्य"
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