रविवार, 22 मार्च 2015

शक्ति

मम समाज नर नारी बिराजे।
पुरुष परसन नर मादा साजे।।
सचर अचर चर कहता जग।
जड़ चेतन मन नहि नाग नग।।
नारी शक्ति सी प्रगट हुवे हम।
देवी दुर्गा दुर्गति हारिणी हरदम।।
राम कृष्ण की धरा हमारी।
राधा सीता सबकी महतारी।।
द्रोपदी चिर हरन सीता निष्कासन।
शक्ति श्रधा केंद्र हैं यहाँ वीरासन।।
निज नयन देख सब श्रवन पेख।
मटका भरते मिटाते निज लेख।।
राम कृष्ण की इस पावन भूमि पर।
माँ बहना बेटी है रोती निज जीवन पर।।
नवरात्रि मनाते नव शक्ति जगाते यहाँ।
शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी में रम जाते जहाँ।।
काम पिपासु नरक बना देव धरा लजाते।
भोग्या मान पशु मानव थोडा नहि शर्माते।
दया माया ममता लज्जा श्रद्धा बेचक जन।
आस बिश्वास ईमान मान विरत होता मन।
चन्द्र घंटा कुष्मांडा स्कन्धमाता माता माता
पर व्यवहार बगुला भगत को हैनहि सुहाता
कात्यायनी कालरात्रि कृपा हित रत जन।
महागौरी का प्रेम पराग पातानिश्छल मन।
लक्ष्मी सरस्वती मेधा दुर्गमा दुर्गमाश्रिता।
सिध्दिदात्री ब्रह्माणी सब शक्ति मिश्रिता।।
मानते तो मानो सब माँ बहना बेटी शक्ति।
नारी शक्ति की पूजा से हो जा सब भक्ति।।

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