शनिवार, 16 नवंबर 2013

बराबरी

अकल्पनीय अकथनीय कह सकते अकरणीय अशोभनीय है !
कथा सब जाति धर्म सम्प्रदाय पंथ वर्ण भेद की विचारणीय है !!
नेता अभिनेता नेत्री अभिनेत्री की विविध विपदा अवर्णनीय है !
सार भस्म सा समाज में किसी भी प्रकार बराबरी अभस्मीय है !!१!!
ताप त्रय विमोचन त्रिलोकी त्रास तारन तप्त आभा से विलग है !
क्षेत्र जाति भाषा धर्म रूप रंग वेश भूषा भजन भाजन से भुवन है !!
भारत भूमि भूषित भुवन भर भायप भगति भावना से भरत है !
राम रावण पांडव कौरव कृष्ण कंस- कथा जन जन से कहत है !!२!!
भीष्म भीम बली शकुनी सुदोदन छली कृप कर्ण महारथी है !
महाभारत पुराण गीता ज्ञान में संसार सार तारक सारथी है !!
जूथपति जाम्बवान बज्रांग पादशक्ति की किससे बराबरी है !
राम भ्राता भरत से कुरुवीरो कुरुवंशियो से कसमकस परी है !!३!!
बराबरी नित की नव नव कर ही ब्रह्मर्षि से राजर्षि ने करी है !
फिर भी करम धरम काम धाम हरदम हरी नाम से ही हरी है !!
प्राचीन नवीन मोटा महीन महिमा माया मद मोह कोह भरी है !
राग रोग भाग भोग भुवन भर भर रही नित नव नव बराबरी है !!४!!
काल कलि कल का का केहु करत करामती कु को कामी करी है !
कुकरी सुकरी भाग भोग जाग जोग जग जगाये जतन  जरी  है !!
राकपा माकपा सपा बसपा अपा भाजपा कांग्रेस से क्षत्रप परी है !
लोक तंत्र को लूट तंत्र बनाने में लगी लगन सबमे अब बराबरी है !!५!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें