।।मानस चर्चा।।
#आसमानको दूह कर दूध चाहने वाले कौन-कौन#
हम मानस चर्चा में आसमान से दूध दूहने वालों को जानते हैं ---रामचरितमानस की इन पंक्तियों के आधार पर --- हाँ अगर आपने अभी तक चैंनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो प्रभु श्रीराम कृपा से मानस के माध्यम से सरल ढंग से ऐसी ज्ञान वर्धक बातों को जानने के लिए चैंनल को सब्सक्राइब कर ले -- आइए हम जानते हैं आसमान से दूध दूहने की चाहत रखने वाले लोगों को - मानस की पंक्तियों से पहले हम हितोपदेश को सुनते और समझते हैं-
सेवैव मानमखिलं ज्योत्सनेव तमो जरेव लावण्यं,
हरिहरकथेव दुरितं गुणशतं अभ्यर्थिता हरति।।
सेवा मान को ,ज्योत्सना- चाँदनी अन्धकार को, बुढ़ापा सुन्दरता को, हरिहरकथा-भगवान विष्णु व भगवान शंकर की कथा पाप को और अभ्यर्थिता अर्थात माँगना- याचना सैकड़ों गुणों को हर लेती हैं।
पर आसमान से दूध दूहने की चाहत रखने वाले लोगों को जानने के लिए हमें इन पंक्तियों के साथ ही साथ मानस की पंक्तियों को अपने मन-मानस में उतारना होगा जो हमारे सामने हैं-
सेवक सुख चह मान भिखारी।
सेवक अर्थात नौकर सुख की चाहत रखे,भिखारी सम्मान-प्रतिष्ठा की।
ब्यसनी धन सुभ गति बिभिचारी॥
व्यसनी अर्थात बुरी लत वाला-जुआ खेलने वाला धन की चाहत रखे, व्यविचारी-परत्रियगामी सद्गति की।
लोभी जसु चह चार गुमानी।
लोभी-लालची यश-कीर्ति की चाहत रखे,चार अर्थात दूत गुमान-स्वाभिमान की।
नभ दुहि दूध चहत ए प्रानी॥
तो समझ ले कि ये छः लोग सेवक,भिखारी,व्यसनी,व्यविचारी,लोभी और दूत आसमान को दूह कर दूध निकालने की चाहत रख रहे हैं।
सेवक सुख चह मान भिखारी।
ब्यसनी धन सुभ गति बिभिचारी॥
लोभी जसु चह चार गुमानी।नभ दुहि दूध चहत ए प्रानी॥आशा है मानस चर्चा का यह बिन्दु आपको ज्ञान-सिन्धु
में डुबकी लगाने का अवसर अवश्य दिया है। धन्यवाद
।। जय श्री राम जय हनुमान।।