रविवार, 29 नवंबर 2020

|| CAUSATIVE VERBS. ||

The causative verb is a verb used to indicate that some person or thing makes or helps to make something happen .Have,get ,make and let are main.cause,help ,put and other are also causal or causative verbs.
Have:-to authorize someone to do something.
Get:-to convince or encourage someone to do something
Make:-force or require someone to take an action.
Let:-allow or permite someone to do something.
जब काम करने वाले का पता नहीं हो:-
Sub+causative+obj+v3 etc.
Example:-I had my house cleaned.
जब काम करने वाले का पता हो:-
Sub+causative+person+to v1 or without to v1 +etc.
Example:-
She gets her son to solve the question.
I had electrician look at my broken light.
The elder sister put the child to sleep crying.
I made the boy run.
The nurse caused the patient to drink the medicine lying.
Mother made the servant make the beds carefully.

बुधवार, 18 नवंबर 2020

√पर्यायवाची(शरीर के अंगों के)

तन:- कलेवर तनु काया वपु, लिम्ब गात जिस्म तन।
       देह के बहु नाम ये, अंग ऑर्गन बॉडी कथन।।1।।

बाल:-केश कच कुंतल कहते,अलक शिरोरुह चूल।
       जुल्फ जुल्फी चिकुर बाल, हेयर पर हो फूल।।2।।

पैर:-पद पद्म पद्माकर पग,परम पावन पूजित।
      पैर पाद पद चरण सब,फुट लेग अतिरंजित।।3।।

पेट:-पेट उदर स्टोमच कुक्ष, बेल्ली अंतः भाग।
      जठर अमाशय अंतरे, मध्य भाग का राग।।4।।

हाथ:-हाथ हैंड हस्त हरदम,स्वच्छ रखे कर पात्र।
       पाणी पंजा बाहु भुज,भुजा सवारें गात्र।।5।।

दाँत:-दाँत टूथ टीथ भावन, रदन दशन लुभावन।
       रद द्विज दन्त बदन खुर,मुख खुर रखें पावन।।6।।

जीभ:-जिह्वा रसना रसिका जु,जीभ बानी जुबान।
         वाचा वाणी रस देव,रसज्ञा टंग बखान।।7।।

कान:-कान श्रुतिपट श्रुति सब, श्रवणेन्द्रिय महान।
      श्रोत्र कर्ण एअर श्रवण,शब्दग्रह सब जान।।8।।

पसीना:-पसीना स्वेद प्रस्वेद,स्वेट श्रमकन बखान।
          श्रमसीकर श्रमविंदु, श्रमवारि हैं महान।।8।।

आँख:-आँखें जीवों की जान,लोचन अम्बक नयन।
         नेत्र चक्षु अक्षि दृग मह,ऑय नैन का चयन।।9।।

आँसू:-आँसू टेअर नयन जल,टसुआ असुआ अश्क।
         लोचन वारि अश्रु दृगजल,दृगम्ब का है मश्क़।10

गला:-गला शिरोधरा गरदन, थ्रोट टेंटुआ हलक।
        सु कण्ठ ग्रीव गलई जन,ग्रीवा होवे फलक।।11।।

गाल:-टमाटर सा लाल गाल,कपोल चीक रुखसार।
        गण्ड गलवा गण्ड स्थल,महिमा रखे अपार।।12।।

सीना:-छाती सीना वक्षस्थल,चेस्ट हिया का हार।
        वक्ष रक्ष में रत कवच,हिय का करें सम्भार।।13।।

जंघा:-जांघ जंघा जघन रान,थइ अंग्रेजी बखान।
       उरु जंघ विशाल विस्तृत,नलकिनि हंच महान।14

हथेली:-हथेली पाणितल हाथ,पंजा पाम प्रहस्त।
          करतल हस्ततल जानें,अंजलि अंजुली मस्त।15

दिमाग:-दिमाग मस्तिष्क विवेक,बुद्धि प्रज्ञा मगज।
           ब्रेन मेध भेजा अकल,मति धी राखे सजग।16

नाक:-नाक की है अद्भुत बात, जो दिखाती  जन्नत।
        नोज घ्राणेन्द्रिय घ्राण,नासिका के मन्नत।।17।।

दिल'-दिल हिय हृदय हार्ट उर, जाता जल्दी टूट।
        अन्तः करन हो मजबूत,भरोसा भी अटूट।।18।।

कमर:-कमर कमरिया लपालप, वेस्ट कही कटिभाग।
        लंका कटि मध्यप्रदेश,कॅरिहाव ह मध्यांग।।19।।

पुतली:-एप्पल ऑफ आई कौन आँखो का तारा।
          पुतली प्यूपिल कनीनी, कनीनिकान प्यारा।।20

कोहनी:-कोहनी कफोड़ि कूर्पर,एल्बो कुहनी कोहन।
            इरकोनी टिहुनी पर,रिझे राधा मोहन।।21।।

बुद्धि:-बुद्धि धिषणा प्रज्ञा मति,हर प्राणी में अक्ल।
        विजडम विवेक मनीषा,मेधा धी की शक्ल।।22।।

हाथ'-कर पाणि जोरि कर विनय, भुजा भुज बाहू बाँह।
        बाजू हस्त हाथ पाणि, आर्म ना कहे आह।।23।।

कलाई:-कलाई गट्टा प्रकोष्ठ,है पहुँचा करमूल।
         मणिबन्ध व्रिस्ट भी यही,यही है पाणिमूल।।24।।

माथा'-माथा ललाट की चमक,सोहै मस्तक भाल।
        पेशानी फोरहेड न, शीश सिर ही कपाल।।25।।

कंधा:-कन्धा काँधा ही स्कन्ध,मोढ़ा खावा अंश।
        शोल्डर सोलिडेर सदा,रखते ऊँचा अंस।।26।।

स्तन:-स्तन कुच पयोधर चूची,ब्रैस्ट सीना वक्षोज।
        वक्ष उरोरुह और उरस, स्तन्य ही है उरोज।।27।।

होठ:-होठ हमारा विरलतम,कहलाता है अधर।
       ओठ लिप्स अपर लोवर,ओष्ठ लब मुरली धर।28

चेहरा:-चेहरा मुखड़ा आनन,शक्ल फेस स्वरूप।
        अद्भुत रचना मुँह मुँख, दिखा देता सब रूप।।29।

एड़ी:-हील एड़ी ही कहावत,गोहिरा पगमूल।
       देववाणी में पर्ष्णि, पदमूल चरणमूल।।30।।

नाभि:-नवेल कस्तूरी नाह,नाभि तुन्दी  तुन्नी।
         तुन्दकुपी बेलीबटन,ढोढ़ी कहे धुन्नी।।31।।

          ।।     इति    ।।