गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

Use of Made of,Full of & Covered with

       ।।Made of,full of & covered with.।।                 

1:- ध्यान रखें कि बना हुआ, भरा हुआ और ढका हुआ कि अंग्रेजी क्रमशःmade of,full of & covered withहैं। 

 इनके साथ to be का प्रयोग होता है।
Examples

1. The chair was made of wood.

2.The baskets were full of flowers.

3.The basket was covered with a cloth

ध्यान रखें material noun का प्रयोग एकवचन में होता है----

1.The house is made of brick.

2.The pots were made of clay. 
 
Soil, earth,mud ,clay का अर्थ क्रमशः वह मिट्टी जिसमें पेड़-पौधे व फसले उगती हैं, साधारण मिट्टी, गिली मिट्टी और गूँथी मिट्टी है।

1.The soil of this field is fertile.

2.He covered the dead body with earth

3.Some houses were made of mud.

4.The pots were made of clay.

Hair,fur,wool, down & feather ये सब बाल हैं परन्तु क्रमशः इन्सान, पशु, भेड़,पंक्षियों के छोटे बाल और पंक्षियों के बड़े बाल के लिए आते हैं।

    आटा और फूल की अंग्रेजी शब्दों के उच्चारण एक से होते हैं spelling में अंतर है --flour,flower फ्लाउर

                       THANKS

।।उपमा अलंकार simile।।


    उपमा अलंकार 

     【SIMILE】

   उपमा दो भिन्न-भिन्न वस्तु या
 प्राणी को बराबर-बराबर तौलने
 का प्रयत्न करती है। उपमा दो
 शब्दों से मिलकर बना है:-
उप+मा यहाँ उप का अर्थ है
 समीप,पास या निकट और
 मा का अर्थ है देखना, तौलना,
मापना या तुलना करना।
 इस प्रकार उपमा का शाब्दिक 
अर्थ भी होता है निकट से तुलना
 करना या समानता करना।
   👍उपमा की परिभाषा है:
जहाँ एक वस्तु या प्राणी की
 तुलना अत्यन्त समानता के 
कारण किसी अन्य प्रसिद्ध 
वस्तु या प्राणी से की जाती है 
 वहाँ उपमा अलंकार होता है।
जैसे:-चाँद सा  सुन्दर मुख यहाँ
 मुख की तुलना चाँद से।
🙅उपमा अलंकार के अंग
उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं:- 
उपमेय,उपमान, साधारण धर्म और
 सादृश्य वाचक शब्द।
1-उपमेय :- इसे प्रत्यक्ष /प्रस्तुत/
 present  नामों से भी जाना 
जाता है। उपमेय का अर्थ होता
 है उपमा देने योग्य अर्थात वह 
वस्तु या प्राणी जिसकी उपमा दी 
जाय उसे  उपमेय कहते हैं।जैसे-
 मुख ,मन आदि।
2- उपमान :- इसे अप्रत्यक्ष / 
अप्रस्तुत/absent  नामों  से भी 
जाना जाता है।उपमेय की तुलना 
जिससे की जाती है वह उपमान 
होता है अर्थात वह प्रसिद्ध बिन्दु
 या प्राणी जिससे  तुलना की जाय
 उसे उपमान कहते हैं।जैसे-कमल,
चाँद आदि।
3- साधारण धर्म:- उपमान तथा
उपमेय में पाया जाने वाला परस्पर 
समान गुण  साधारण धर्म कहलाता
 है जैसे :-चाँद सा सुन्दर मुख में 
सुन्दर शब्द।
4-सादृश्य वाचक शव्द:- उपमेय 
और उपमान के बीच समानता बताने 
के लिए जिस शब्द का प्रयोग होता हैं 
उस शब्द को सादृश्य वाचक शब्द या 
वाचक शब्द  कहते हैं वास्तव में उपमा
 अलंकार को पहचानने में इनका बहुत
 बड़ा योगदान होता है जैसे:-से, सा, सी, 
सम, समान, सरिस, जैसा, तैसा, कैसा, 
वैसा, जैसे जिमि, वैसे, तैसे, कैसे, 
जिससे,उससे,इव,की नाई ,की तरह 
के अर्थ के आदि शब्द।
👍उपमा अलंकार के भेद :-उपमा 
अलंकार के तीन भेद हैं:-1 .पूर्णोपमा  
2 .लुप्तोपमा  और 3. मालोपमा 
💐(1)पूर्णोपमा – जब वाक्य में उपमा 
के चारों अंग अर्थात – उपमेय , उपमान 
 ,साधारण धर्म तथा वाचक शब्द उपस्थित
 हो तब वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है।
उदाहरण:-
👍1-उषा-सुनहले तीर बरसती
   जय-लक्ष्मी-सी उदित हुई।
यहाँ उपमेय-उषा,उपमान-जय-लक्ष्मी,
साधारण धर्म-उदित हुई(सुनहले तीर 
बरसती)और वाचक शब्द-सी अर्थात 
उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः
 पूर्णोपमा अलंकार है।
👍2. सुनि सुरसरि सम सीतल बानी।
यहाँ उपमेय-बानी, उपमान-सुरसरि,
साधारण धर्म-सीतल और वाचक 
शब्द-समअर्थात उपमा के चारों 
अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा 
अलंकार है।
👍3-राम लखन सीता सहित
 सोहत परण निकेत।
  जिमि बस बासव अमरपुर
 सची जयंत समेत।
यहाँ उपमेय-राम लखन सीता
 और परण निकेत,उपमान- 
वासव सची जयन्त  और अमरपुर,
साधारण धर्म-सोहत,वाचक शब्द-
जिमि अर्थात उपमा के चारों अंग
 उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा 
अलंकार है।
👍4-करिकर सरिस सुभग भुजदण्डा
यहाँ उपमेय-भुजदण्डा,उपमान-करिकर,
साधारण धर्म- सुभग,वाचक शब्द-सरिस
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं
 अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍5.निज अघ समुझि न 
कछु कहि जाई।
तपै अवा इव
 उर अधिकाई।
यहाँ उपमेय-उर,उपमान-अवा,
साधारण धर्म-तपै,वाचक
 शब्द-इव अर्थात उपमा के
 चारों अंग उपस्थित हैं अतः 
पूर्णोपमा अलंकार है।
👍6-कीरति भनीति 
भूति भलि सोई।
   सुरसरि सम 
सबकर हित होई।।
कीर्ति,कविता और सम्पत्ति वही 
भली है जो गंगा की तरह
 सबका हित करती है।
यहाँ उपमेय-कीरति भनीति 
भूति,उपमान-गंगा,साधारण
 धर्म-हित,वाचक शब्द-सम 
अर्थात उपमा के चारों अंग 
उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा
 अलंकार है।
👍7-सादर कहहि सुनहि बुध ताही।
 मधुकर सरिस संत गुनग्राही।।
यहाँ उपमेय-संत,उपमान-मधुकर,
साधारण धर्म- गुनग्राही,वाचक शब्द-सरिस 
अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍8-पहेली सा जीवन है व्यस्त।
यहाँ उपमेय-जीवन,उपमान-पहेली,
साधारण धर्म-है व्यस्त,वाचक शब्द-सा 
अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍9-नदियाँ जिसकी यशधारा सी
   बहती है अब निशि वासर ।
यहाँ उपमेय-नदियाँ,उपमान-यशधारा,
 साधारण धर्म-बहती, वाचक शब्द- सी
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं
 अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍10-हरिपद कोमल कमल से ।
यहाँ उपमेय-हरिपद,उपमान-कमल, 
साधारण धर्म-कोमल,वाचक शब्द-से
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍11-अस  मन गुनई  राउ नहि बोला।
     पीपर पात सरिस मन डोला।।
यहाँ उपमेय-मन,उपमान-पीपर पात
साधारण धर्म-डोला, वाचक शब्द-सरिस
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍12.सीता राम संग बन बासू।
  कोटि अमरपुर सरिस सुपासू।।
यहाँ उपमेय-सीता राम संग बन बासू ,
उपमान-कोटि अमरपुर,साधारण
 धर्म-सुपासू,वाचक शब्द-सरिस
अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित
 हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
💐(2)लुप्तोपमा – जिस पंक्ति में उपमा
 अलंकार के चारों अंग में से एक या 
अधिक अंग लुप्त हो वहां लुप्तोपमा 
अलंकार होता है।ध्यान यह देना है कि 
जहाँ जो अंग लुप्त होता है वहाँ उस नाम 
का लुप्तोपमा अलंकार होता है। आइये 
अब हम अंगों के लुप्त होने के हिसाब 
से प्रत्येक लुप्तोपमा को देखते हैं।
(अ) उपमेय लुप्तोपमा:-
1-पड़ी थी बिजली सी विकराल ।
यहाँ उपमान -बिजली,वाचक शब्द-सी,
 साधारण धर्म- विकराल तो हैं पर उपमेय 
नहीं  है अतः यहाँ उपमेय लुप्तोपमा है।
2-धर्म हेतु अवतरेउ गोसाई।
   मारेहु मोहि व्याध की नाई।
यहाँ उपमान -ब्याध,वाचक-शब्द-की नाई,
 साधारण धर्म - मारेहु तो हैं पर उपमेय 
नहीं  है अतः यहाँ उपमेय लुप्तोपमा है।
(ब)-उपमान लुप्तोपमा:-
1-जौ पट तरिय तीय सम सिया।
  जग अस जुवती कहाँ कमनीया।
यहाँ उपमेय -सिया,वाचक-शब्द-जौ, 
साधारण धर्म - कमनीया तो हैं पर 
उपमान नहीं  है अतः यहाँ उपमान
 लुप्तोपमा है।
(स)-वाचक लुप्तोपमा:-
नील सरोरुह स्याम 
तरुन अरुन बारिज नयन।
करहु सो मम उर धाम 
सदा क्षीर सागर सयन।।
यहाँ उपमेय-नयन, उपमान-नील 
सरोरुहऔरअरुन बारिज साधारण 
धर्म- स्यामऔर तरुन तो हैं पर वाचक 
शब्द नहीं है अतः वाचक लुप्तोपमा है।
(द)-धर्म लुप्तोपमा:-
1-करि प्रणाम रामहि त्रिपुरारी।
  हरषि सुधा सम गिरा उचारी।
2-कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।
इन दोनों उदाहरणों में उपमेय,उपमान,
वाचक शब्द तो हैं पर साधारण धर्म के
 नहीं होने के कारण धर्म लुप्तोपमा है।
विशेष:-जो-जो अंग नहीं होते हैं उन-उन 
के नाम से लुप्तोपमा हो जाता है जैसे:- 
वाचक उपमान लुप्तोपमा का यह 
उदाहरण है-
सुनि केवट के बैन
 प्रेम लपेटे अटपटे।
बिहसे  करुना अयन 
चितइ जानकी लखन तन।।
💐(3)मालोपमा – जिस पंक्ति में एक 
से अधिक उपमेय तथा उपमान 
उपस्थित हो।  जिससे ऐसा प्रतीत हो 
कि काव्य में उनकी माला बन गई हो 
तब वहाँ मालोपमा अलंकार होता है।
उदाहरण:-
1:-हिमवंत जिमि गिरिजा महेसहि 
हरिहि श्री सागर दई।
तिमि जनक रामहि सिय समर्पी 
बिश्वकल कीरति नई।।
2:- हिरनी से मीन से ,
 सुखखंजन समान चारु
  अमल कमल से , 
विलोचन तिहारे हैं।
3:-जिन्ह हरि कथा सुनी नहि काना।
    श्रवन रन्ध्र अहि भवन समाना।
    नयनन्हि संत दरस नहि देखा।
    लोचन मोर पंख कर लेखा।
    ते सिर कटु तुंबरि सम तूला।
    जे न नमत हरि गुरु पद मूला।
    जिन्ह हरिभगति हृदयँ नहिं आनी।
    जीवत सव समान तेइ प्रानी॥
    जो नहिं करइ राम गुन गाना।
    जीह सो दादुर जीह समाना॥
    कुलिस कठोर निठुर सोइ छाती।
    सुनि हरिचरित न जो हरषाती॥
इतनी सुन्दर मालोपमा शायद ही 
कहीं और सुलभ हो।
        ।।          धन्यवाद       ।।

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

The Verb To Be & Adjectives

       Is, are,am,was, were & adjectives
(A)श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था।
Shree Krishan was born at Mathura.
1:-पैदा (born) adjectiveहै अतः इसके साथ बचन,पुरुष और काल के अनुसार is,are,am,was, were का प्रयोग होगा।He bornगलत He was born . Right
Born के साथ में की English स्थान से पहले at लिखते है।
(B)अयोध्या में दशरथ नामक एक राजा थे।
There was a king in Ayodhya named Dashrath.
वृध्दावस्था में उनके चार लड़के पैदा हुए।
Four sons were born to him in his old age.
उनके राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न नाम रखे गये।
They were named Ram, Lakshman, Bharat and Shatrughan.
2:-नामक(named) name  का प्रयोग संज्ञा, क्रिया और विशेषण के रुप में होता है।
क्रिया के रुप इसका प्रयोग होने पर इसके पहले to be का कोई रुप होगा। 3 
विशेषण के रूप में जिस संज्ञा का वह विशेषण होगा उसके बाद आयेगा। 
He lived at a village named Rampur.
संज्ञा के रुप मे  नियमानुसार
The name of my father is Ram Narayan.
3:- कहलाता है(is called) is used like the verb name.
It is called suger.
I bathed in a river called the Narmada.
  ध्यान रखें  कि  कमरे का दरवाजा door और मुख्य/ फाटक gate होता है।
                            Thanks

सोमवार, 26 अप्रैल 2021

verb 'to be' and past participles

    Is, are,am,was, were & verb third

Rule 1:-अंग्रेजी  के किसी भी वाक्य में यदि कोई विशेषण(adjective) पूरक पद बनकर आता है तो उसके साथ 
वर्तमान काल  (present tense) में कर्ता के अनुसार is, are,am  और
भूतकाल (  past tense )में कर्ता के अनुसार was,were  का प्रयोग अवश्य होता है।
NOTE:-
सकर्मक  क्रियाओं (transitive verbs) के बाद ed जोड़कर/क्रिया third अर्थात क्रिया की past participle form को विशेषण के रुप में लिखा जाता है।
सूत्र:-कर्ता+is, are, am,was,were+verb3 + etc.
Examples
मैं काम से थका हुआ हूँ।
I am tired with work.
तुम्हारे पिताजी तुम्हारे बर्ताव से प्रसन्न हैं।
Your father is pleased with your behaviour.
पृथ्वी हरी घास से ढकी थी।
The earth was covered with green grass.
मकान ईट के बने थे।
The houses were made of brick.
Note 
1:- tired, pleased और displeased के साथ with आता है।
2:- made के साथ of आता है।
3:-life & death are abstract noun so never use the before them.
Life is short.
Death is certain.
4:-मैं तुम्हारे साहस (से,में,पर) आश्चर्य चकित था।
I was surprised at your boldness.
अर्थात surprised के साथ at आता है।
5:-
Disappointed, hopeless , despaired ( निराश) 
मनुष्य के निराश होने पर in, उत्पन्न फल से  निराश होने पर with भावी फल से निराश होने पर of का प्रयोग होता है।
1-The old man is disappointed in his son.
2-The boy was disappointed with the result of his examination.
3-The doctor was despaired of patients'life.
6:-आश्चर्य चकित के लिए ये सभी शब्द लगभग समान हैं:- surprised, astonished, amazed, dumbfounded, struck dumb.
          ।।    Thank you very much  ।।



रविवार, 25 अप्रैल 2021

।।अतुलितबलधामं ।।

               ।।अतुलितबलधामं।।
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
                दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं  
                 रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।      (1)अतुलितबलधामं:-
पवनतनय बल पवन समाना।
राम काज सब करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान और
देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेहु जानकी जाहू।
अतुलित बल के धाम अर्थात घर, आगार तो गोस्वामी जी मे कहा ही है।   
भगवान श्री राम हैं 
अतुलित बल अतुलित प्रभुताई।
वे रहते हैं हनुमान जी के हृदय-धाम में
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप धर।
इसी गुण से
           समुद्रोल्लंघन एवं सुरसादि का मान मर्दन हुआ।
(2) हेमशैलाभदेहं/स्वर्णशैलाभदेहं
कनक बरन तन तेज बिराजा।मानहु अपर गिरिन्ह कर राजा।।और
कनक भूधराकार सरीरा।समर भयंकर अति बलबीरा/रनधीरा।।
इसी गुण से
जगत जननी जानकीजी को भरोसा होता है।
(3)दनुजवनकृशानुं
प्रनवउँ पवनकुमार खलबन पावक ज्ञानघन।और
उलटि पलटि लंका सब जारी।
 इसी गुण से
अक्षय कुमार आदि राक्षसों का बध और लंका दहन
दूसरी बात
अग्नि सब कुछ जला सकती है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है यथा
उहाँ निसाचर रहहि ससंका।
जब ये जारि गयउ कपि लंका।।और
काह न पावक जारि सक
(4)ज्ञानिनामग्रगण्यं
वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कपीश्वरौ
इसी गुण से
रावण को उपदेश ,जिस पर वह व्यंग्य ही, पर सही ही कहता है
मिला हमहि कपि गुर बड़ ज्ञानी।
(5)सकलगुणनिधानं
होउ तात बल सील निधाना।
अजर अमर गन निधि सुत होऊ।।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
जय हनुमान ज्ञान गन सागर
इसी गुण से
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
(6)वानराणामधीशं
नव तुलसिका बृन्द तह देखि हरष कपिराइ।
जय कपीस तिहु लोक उजागर।
इसी गुण से
राखे सकल कपिन्ह के प्राना।
(7)रघुपतिप्रियभक्तं/रघुवरवरदूतं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।
रामदूत अतुलित बल धामा।
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी।
रामदूत मैं मातु जानकी।और
बूड़त बिरह जलधि हनुमाना।
भयउ तात मो कहु जलजाना।।और तो और
लाँघि सिंधु हाटकपुर जारा।
निसिचर गन बधि बिपिन उजारा।।
इसी गुण से
राम कृपा भा काज बिसेषी।
(8)वातजातं
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रुप।
जीति न जाइ प्रभंजन जाया।
जात पवनसूत देवन्ह देखा।
पवनतनय बल पवन समाना।
इसी गुण से
तोहि देखि सीतलि भइ छाती।
मनोजवं मारुततुल्यवेगम
नमामि 
से तात्पर्य  मनोरथ सिद्धि की प्रार्थना और विशेष बात ध्यान रखने योग्य हनुमान जी के उक्त आठ नामों के बाद नमामि का अर्थ यह श्लोक अपने आप ही "हनुमानाष्टक" हो जाता है। और ऐसा
माना जाता है कि  हनुमानाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति को अपनी हर बाधा और पीड़ा से मुक्ति मिलने के साथ उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं. 
              ।।       धन्यवाद         ।।

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

To Be - was,were & Some Special Words



"The Use Of Was and Were"

Was:- was is used with singular number   

subject ie :-I,he,she, it, name और अन्य एक

 वचन कर्ता के साथ was का प्रयोग होता है।

Were:-were is used with plural number 

subject ie:- we,you, they और अन्य बहुवचन  

कर्ता के साथ were का प्रयोग होता है

Examples:-
1:-मैं प्रकृति की सुन्दरता पर प्रसन्न था।

I was charmed with the beauty of nature.

Note:-(1) प्रसन्न happy/अप्रसन्न unhappy के 

साथ से/पर की अंग्रेजी with लिखते हैं।

मेरे शिक्षक मुझसे प्रसन्न थे। My teacher was pleased with me.

Note:-(2) Nature और God से पहले the का प्रयोग न करें।जैसे:-ईश्वर महान है।
God is great.

2:-तुम अस्वस्थ थे।

You were unhealthy.

Note:- (1) healthy स्वस्थ, unhealthy अस्वस्थ ,इनका प्रयोग स्थायी रुप से (permanently) स्वस्थ/अस्वस्थ होने के लिए होता है।

(2) हल्की बीमारी से चंगा/पीड़ित होने पर get well/get unwell का प्रयोग होता है।

(3) बीमार के लिए ill/sick भी आते हैं।

3:- पुस्तकें कीमती थीं। 

The books were costly.
किताबें मूल्यवान होती हैं।

The books are valuable
शिक्षा खर्चीली है।

Education is expensive.
समय बहुमूल्य होता है।

Time is precious.

Dear/cheap क्रमशः महँगा/सस्ता के लिए आते हैं।

4:- तुम्हारे कपड़े साफ थे।

Your clothes were clean.
सड़क साफ थी।

The road was clear.

5:- कमरा गर्म था।

The room was warm. Wanted

 The sun was hot.       Unwanted.

6:- हवा ठंडी थी ।

The wind was cold.
हवा बहुत ठंडी थी।

The wind was chill.
जूस ठंढा था।

Juice was cool.

7:-समय बीत चुका था।

The time was up.
गाड़ी स्टेशन पर आ चुकी थी।

The train was in.
बत्ती बुझ चुकी थी।

The light was off.
सभा समाप्त थी/हो चुकी थी।

The meeting was over.
पेड़ में पत्तियाँ आ चुकी थीं।

The tree was in leaf.
पौधे पुष्प सम्पन्न थे।

The plants were in flowers.
पौधे में कली थी।

The plant was in bud.   


                    Thanks