बुधवार, 1 अगस्त 2018

पवन सुत सन अरज मम आजू

बिधि करतब पर किछु न बसाई /
जगत सुत उलझने उलझाई /
निशि-दिवस चर-अचर भरमाई /
निरबल सबल नर-दनुज राई /
त्राहि त्राहि दयाल रघुराई /
गिरिजा शंकर जस  पुरवाई /
पूरन काम  आजु हो जाई /
नव नव नम नयन गोहराई  //१//
कलि मल मल सब करतब आजू /
करत बतकही दिखहि न साजू /
 का करतब कब कर कह कोही /
अजर अमर अविगत अज ओही /
बायस-जन बन हंस मत कहे /
अज्ञ विज्ञ निज अल्पज्ञ  कथा सहे /
पवन सुत  सन अरज मम आजू /
करतब कर कर  अब सब  काजू //२//