रविवार, 12 जनवरी 2025

मानसचर्चा।। श्री हनुमानजी भाग बीस।। राखे सकल कपिन्ह के प्राना।।

मानसचर्चा।। श्री हनुमानजी भाग बीस।। राखे सकल कपिन्ह के प्राना।।
सनाकदिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते।। ब्रह्माजी, नारदमहाराज, शेषजी, शारदा जितने भी मुनि हैं सब तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं। सनकादिक ऋषि प्रशंसा करते हैं चूंकि श्रीहनुमानजी कथा के रसिक हैं और सनकादिक ऋषि भी जहाँ जहाँ जाते हैं बालक
रूप लेकर बैठते हैं, कथा श्रवण करते हैं। हमसे भी ज्यादा कथा के रसीक श्रोता श्रीहनुमानजी । इस कारण से वे हनुमान् की प्रशंसा करते हैं। जिस समय मेघनाथ ने हनुमानजी पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया तो हनुमानजी
को वरदान था वें ब्रह्मास्त्र की महिमा को तोड़ सकते थे लेकिन हनुमानजी जानते हैं कि मैं मर्यादा पुरुषोत्तम
श्रीराम का सेवक हूँ और यदि मैं मर्यादा तोडूंगा तो यह शोभा नहीं देता, दूसरा, बुजुर्गों की मर्यादा को बनाए
रखना इससे बड़ा कोई धर्म कार्य नहीं होता इसलिए हनुमानजी जानबूझ ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से मूर्छित होकर
गिरने का नाटक करते हैं। हनुमानजी को कौन मूर्छित कर सकता है? जो मूर्छित की मूर्छा दूर करने का क्षमता
रखते हैं उनको कौन मूर्छित कर सकेगा। लेकिन केवल ब्रह्माजी की मर्यादा के लिए हनुमानजी ने नाटक किया।
जामवंतजी ब्रह्माजी के अंशावतार हैं। जामवंत जी जब भी प्रशंसा करते हैं हनुमानजी की ही करते हैं।
रामकाज कीन्हेहु हनुमाना राखे सकल कपिन्ह के प्राना।
हे भगवान्, यह तो हमारी क्षमता नहीं थी, यह तो हनुमानजी की कृपा है कि आज हम आपके चरणों
में बैठे हैं। भगवान् जब भी विश्राम के क्षणों में होते हैं तो जामवंतजी आकर भगवान् को हनुमान् की ही कथा
सुनाया करते हैं। एक बार मेघनाथ ने पूरी सेना को मूर्छित कर दिया। सन्ध्या के समय विभीषणजी को साथ लेकर श्री।हनुमानजी अपनी सेना को देखने गए कि कौन मारा गया, कौन मूर्छित है और कौन घायल है, किसकी क्या दशा है। प्रांगण में कुछ मरे पड़े हैं, कुछ मूर्छित हैं। अंधेरे का समय देखा जामवंत मूर्छित पड़े हैं तो जाकर
विभीषणजी ने पूछा कि जामवंतजी आप कैसे हैं। बोले मैं तो जैसा हूँ ठीक हूँ। पहले यह बताओ कि हनुमान्
कैसे हैं? हनुमान् कहाँ हैं? तो विभीषणजी ने कहा आपने भगवानराम के बारे में नहीं पूछा लक्ष्मणजी के बारे
में नहीं पूछा और बाकी किसी के बारे में नहीं पूछा। आपने श्रीहनुमानजी के बारे में ही क्यों पूछा? जामवंत
जी ने कहा यदि हनुमानजी जीवित हैं तो हम सब जीवित है और अगर हनुमान जीवित नहीं होंगे तो हमारे
सबके जीवित होने के बाद भी हम सब मरे हुए के समान हैं। हमारा किसी का कोई अस्तित्व ही नहीं है। तो
हनुमानजी ने कहा कि मैं आपके चरणों में ही बैठा हूँ। तब जामवंतजी ने कहा इस समय मुझे दिखाई कुछ नहीं
दे रहा है। अब जैसे हो वैसे संजीवनी बूटी लेकर आओ और पूरी सेना को जीवित करो। सनकादिक ब्रह्मादि
मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा। चूंकि नारदजी कीर्तन के प्रेमी हैं और कीर्तन राग-रागनियों के द्वारा ही
रुचिकर लगता है और श्रीहनुमानजी राग-रागनियों के मालिक हैं। नारदजी प्रशंसा करते हैं। एक बार पूरी सेना
की मुर्छा को हनुमानजी ने राग मालकोष गाकर सुनाया मूर्छा दूर कर जीवित कर दिया था। यह हनुमानजी के
राग गायन की विशेषता थी। शारदा प्रसन्न हो गयीं क्योंकि राग और रागनियों के रूप में शास्त्र शुद्ध हो गया।
जम, कुबेर, दिकपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते । यमराज जी भी यश गाते हैं। रावण के
यहाँ यम नाम का दरवाजा था। उसके भीतर रावण ने यमराज को कैद कर रखा था। श्री हनुमानजी ने यमराज
को भी मुक्त किया। उस दरवाजे को तोड़ कर प्रवेश कर गए और वहाँ से मृत्यु को मुक्त किया। जहाँ जाने
से यमराज भी डरता था। श्रीहनुमानजी ने दरवाजे को तोड़ कर मृत्यु को मुक्त कर दिया। कुबेर का तो आपको
मालूम है कि रावण ने सारा राज्य ही छीन लिया था। यह लंका पहले कुबेर के पास थी। पुष्पक विमान कुबेर
के पास था। सारा राज्य, सारा वैभव सब कुछ रावण ने छीन लिया था। पुनः सारा का सारा वापस कराना यह
हनुमानजी के वश की बात थी। अब कुबेरजी क्या कहते हैं और बाकी की तो बात छोड़ दीजिए। दिगपाल
चूंकि रावण के यहाँ चाकरी करते थे। दिगपालन में नीर भरावा ।। सभी विद्वान, सभी कवि जहाँ तक हो
सकता है यह श्री हनुमानजी की प्रशंसा करते हैं। अरे और तो और रावण स्वयं हनुमानजी की प्रशंसा करता
है। है कपि एक महाबलशीला । रावण सामान्यता किसी की प्रशंसा नहीं करता, जो दिगपालों से भी पानी
भराता था, वह भी हनुमानजी की प्रशंसा कर रहा है।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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