✓मानसचर्चा।।हनुमानजी ।।हनुमानजी का प्रभाव।।
मानसचर्चा।।हनुमानजी ।।हनुमानजी का प्रभाव।।
भगवान् भक्त को अपने से बड़ा बनकर रखते हैं और अपने (भक्त) के चरित्र को अपने से अधिक आदर्श दिखा देना चाहते हैं। बाबा ने लिखा है -
राम से अधिक राम कर दासा ॥
इसलिए आपको अनुभव होगा कि जितने मन्दिर भगवान् राम के नहीं है उससे ज्यादा मन्दिर हनुमानजी के हैं। बिना फल के देवता को आखिर मानेगा कौन? जो देवता फल ही नहीं देता, उसकी पूजा कौन करेगा?
हनुमानजी के जगह-जगह पीपल में, टीले पर गली में, मुहल्ले में, जंगलों में जहाँ-जहाँ कोई देवता बैठने को
तैयार नहीं वहाँ हनुमानजी बैठे मिल जाते हैं। सर्वत्र हनुमानजी ही बैठे दिखाई देते हैं। हनुमानजी से जहाँ चाहो
उनसे आशीर्वाद ले लो, वहीं फल प्राप्त कर लो। जंगल में बैठकर हनुमानचालीसा का जाप करो, वहीं कहीं न कहीं हनुमानजी बैठे मिल जाएंगे। एक संत कथा सुना रहे थे बहुत अच्छी लगी, देखिए हनुमानजी का प्रभाव, संत जी बोले कि-
एकपति-पत्नी मेला देखने गए। मेले में तो भीड़ होती है और भीड़ में अचानक भगदड़ मच गई। पति-पत्नी का साथ छूट गया। अब पत्नी, पति के लिए रोए और पति, पत्नी के लिए बैचेन कहाँ होगी? कैसी होगी? पत्नी रोए क्या हो गया? कोई ऐसा वैसा न हो गया हो? क्या करें? मन्दिर था पास में ,मंदिर प्रभु श्री राम का था,पति ने सोचा कि चलो थोड़ी देर मन्दिर में बैठकर शान्ति मिलेगी फिर चलेंगे। मेले के द्वार की दाईं ओर हनुमानजी का मन्दिर था। पत्नी ने हनुमानजी को देखा तो जाकर वहाँ बैठ गई, रो-रोकर हनुमानचालीसा का पाठ करने लगी। पति यहाँ भगवान् राम के मन्दिर में आ गया था। कुछ देर बाद पुजारी ने उस इंसान से पूछा क्या बात है,तो वह बोला! मेले में भगदड़ से पत्नी बिछुड़ गई, पता नहीं कैसी होगी? कहाँ होगी? क्या हाल होगा? महाराज कृपा कर दो। भगवान् से प्रार्थना कर दो। पत्नी मिल जाए हमको। पुजारी ने हँसकर कहा अरे बावले। तुम यहाँ आए हो? पत्नी की खोज की प्रार्थना करने। अरे जो अपनी पत्नी नहीं खोज पाए वो आपकी क्या खोजेंगे? इनके बस की बात नहीं है। अगर इनमें दम होता तो अपनी न खोज लेते। जाओ वहाँ हनुमानजी बैठे हैं उनसे प्रार्थना करो कि मेरी पत्नी से मिला दो । वो इनकी भी खोजकर लाए थे वो तुम्हारी भी खोज कर ला देंगे। और जैसे ही पतिदेव हनुमानजी के मन्दिर में आए यहां पहले से ही पत्नी बैठी हनुमानचालीसा का पाठ कर रही थी। खोये को भी हनुमानजी ने मिला ही देते है।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।
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