गुरुवार, 19 दिसंबर 2024

✓मानस चर्चा ।।बेश कीमती राम नाम हीरा।।

।।बेश कीमती राम नाम हीरा।।
एक महात्मा विद्या तथा राम नाम के प्रभाव से खूब
पूजित थे। इनको देख कर पक गवार मनुष्य ने विचार किया कि यदि मैं इस महात्मा का शिष्य हो जाऊंगा तो
 मैं आसानी से गुणवान तथा यशस्वी बन जाऊंगा।वह महात्मा के पास गया फिर दण्डवत प्रणाम करके
बोला कि हे महाराज ! मैं आपका शिष्य होना चाहता हूँ ।
महात्मा ने  इनकार किया तब वह  झठ उनके चरणों में गिर पड़ा और बार-बार  प्रार्थना करने लगा तो महात्मा जी ने उसको अपना शिष्य बना लिया और कहा कि मैं तुमको एक ऐसा  मन्त्र दूंगा जिसके बल से तुम  संसार में महान बन जाओगे  । महात्माजी की इन बातों को सुन कर वह मनुष्य बहुत प्रसन्न हुआ। एक दिन महात्मा जी ने उसके कान में मंत्र दे ही  दिया ।
"राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे,
सहस्रनाम तत्तुल्य राम नाम वरानने ।"
शिष्य इस राम नाम के मन्त्र को पाकर बहुत खुश
हुआ और बोला कि :- 
तुलसी संत सुअंबु तरु, फूलहि फलहिं परहेत।
इतते ये पाहन हनत, उतते वे फल देत।।
कुछ दिनों बाद एक दिन शिष्य गंगा स्नान को गया और जब  लौट कर आ रहा था तो बहुत लोगों को उक्त मन्त्र का उच्चारण करते देखा तो अपने मन में विचार किया कि महात्मा झूठा है, मुझे धोखा दे दिया है कि इस मंत्र को कोई नहीं जानता । जबकि  इसको तो सारा संसार ही जानता है । अब वह गुस्से में था और क्रोध मेंआकर जब वह  महात्मा को सारा वृतान्त सुनाया तो महात्मा जी ने एक हीरा निकाल कर उसे दिया और कहा कि इसे लेकर तुम साग वाली, पंसारी, सुनार और महाजन के पास एक एक करके जाना और कीमत की जांच करते जाना परन्तु बेचना नहीं । शिष्य उसे लेकर चल दिया और साग बाली को जाकर वह हीरा दिया, उसने कहा कि यह काँच की गोली है , बालकों के खेलने के लिए अच्छी है इसलिए इसका एक पाव साग ले जा ।शिष्य उसे लेकर फिर पंसारी के पास गया तो पंसारी ने कहा कि यह छोटे  से बाट का काम करेगी ,इसका एक सेर नमक ले जा | परन्तु  शिष्य इनकार करके चल दिया और फिर सुनार के पास पहुंचा तो उसने कहा कि इसके सौ रुपए दे सकते हैं फिर वह महाजन के पास गया महाजन ने दस हजार रुपए देने को कहा शिष्य ने  उसे इनकार कर दिया और हीरे को लेकर सीधे महात्मा के पास पहुंचा और सारी बात बताया । तब महात्मा ने कहा कि बच्चा अपने प्रश्न का उत्तर तो समझ गये। शिष्य ने कहा कि नहीं समझा तो महात्मा बोले कि प्रमाण सहित उत्तर तुमको मिल गया फिर भी नहीं समझे ।शिष्य को अभी भी बात समझ में नहीं आई।तब गुरुजी ने कहा  कि मैंने जो तुमको  दिया था  वह एक हीरा है। इसकी  कीमत इसकी परख रखने वाला  ही जानता है ।  अब ऐसा करो इसे लेकर जौहरी के पास जाओ और कीमत पता करके आओ।अब शिष्य जौहरी के पास गया जौहरी ने उसे बताया कि अपना सब कुछ देने के बाद भी वह इसकी कीमत नहीं चुका सकता ,यह हीरा इतना कीमती है।अब शिष्य का दिमाग ठनका वह भागता हुआ गुरु के पास आया,सारा वृतांत बताया।तब गुरुजी ने उसे समझाया कि इसी हीरे की तरह तुमको जो मैने राम नाम का हीरा दिया है उसकी सच्ची परख सच्चे भक्त ही जानते हैं । कोई सागवाली की भांति, कोई पंसारी की भांति, कोई सुनार की तरह, कोई  महाजन की तरह अपने-अपने हिसाब से अलग-अलग  राम नाम रूपी हीरे के महत्व को जानते हैं । सच्ची कीमत तो हीरे के जौहरी की तरह कोई राम नाम का जौहरी ही बता सकता है ।महात्मा के इन प्रमाणिक बचनों को सुन कर शिष्य के हृदय के कपाट खुल गए और हाथ जोड़कर चरणों में गिर पड़ा और बोला कि सत्य है-
बिनु गुरु होय कि ज्ञान, ज्ञान कि होइ विराग बिनु ।
गावहिं बेद पुरान, सुख कि लहहिं हरि भगति बिनु ।।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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