✓मानसचर्चा।।भारत की माताएं।।
मानसचर्चा।।भारत की माताएं।।
शिवाजी ऐसे ही पैदा नहीं हुए। शिवाजी का निर्माण जीजाबाई माँ के द्वारा हुआ। जिस समय जीजाबाई दूध पिलाती थीं और दूध पिलाती-पिलाती थपकी देती थीं उस समय शिवजी को भगवान् राम और हनुमानजी की कथायें सुनाती थीं। भगवान् की कथाओं को सुनकर धर्म की स्थापना हुई है। धर्म संस्थापनार्थाय हिन्दू पद पादशाही की स्थापना शिवाजी कर पाए। इतना बड़ा औरंगजेब का साम्राज्य सारे भारत में फैलने वाला साम्राज्य महाराष्ट्र में जाकर रुक गया। हमारे यहाँ ऐसी माताएं, बूढ़ी माताएं हुई हैं जिनको कुछ नहीं आता था। वे प्रातः कालीन चाकी पीसा करती थीं तो बालक उनकी गोद में लेटा होता था। चाकी पीसते पीसते गीत गाया करती थीं।
आजु मोहि रघुबर की सुधि आई। सीय बिना मेरी सूनी रसोई। लखन बिना ठकुराई। आजु मोहि रघुवर की सुधि आई।
ये भारत की माताएं थीं। जिनके कारण इस देश में ब्रह्म को भी अवतार लेना पड़ा। कैसा देश है ? क्या देश है ?
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा ।
वो भारत देश है मेरा ॥
जहाँ सत्य-अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा ॥
वह भारत देश है मेरा ॥
ये धरती है वो जहाँ ऋषि-मुनि जपते हरिनाम की माला ।
जपते हरि नाम की माला ॥
यहाँ हर बालक मनमोहन है और राधा हर एक बाला।
राधा हर एक बाला ॥
जहाँ सूरज सबसे पहले आकर डाले अपना डेरा |
वो भारत देश है मेरा ॥
वन्देमातरम्, वन्देमातरम् । वन्देमातरम् जय भारत वन्देमातरम् ।
इस देश में हमेशा ही माताओं का वन्दन किया है। चाहे गर्भवती माता हो या भूगर्भ की माता हो। माताओं के कारण इस देश का धर्म और संस्कृति जीवित हैं। एक ऐसी घटना सुनने में आती है कि जिस समय बिलाव राणा के बेटे के हाथ से घास की रोटी का टुकड़ा छीन कर ले गया उस समय हिमालय जैसा अडिग स्थिर राणा का हृदय भी कांप गया। यह घटना देख कर चीख पड़े थे राणा जी लेकिन सत्य या झूठ मुझे मालूम नहीं, ऐसा सुना हूँ कि राणा संधि पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हो गए लेकिन राणा की पत्नी ने हाथ पकड़ लिए, नहीं राणा, अगर आप डूबे तो भारत की आत्मा डूब जाएगी। यह प्रारब्ध है हमारा, इसको भोग लेंगे लेकिन परिवार व इतिहास को कलंकित नहीं होने देंगे। राणा की पत्नी ने हाथ पकड़कर रोक दिया। धर्म डूबने जा रहा था उन्होंने धर्म को बचा लिया। ऐसी थी वह क्षत्राणी । जिस समय भारत, मुस्लिम आक्रांताओं की चपेट में धर्म संस्कृति से विरत होने लगा, भय के कारण से यज्ञ, धर्म, जागरण, धार्मिक कथा, प्रवचन डूबने लगे, उस समय सचिमाता ने चैतन्यमहाप्रभु को तिलक करके कहा कि जाओ, इस संसार को हरिनाम का संदेश दो । सचिमाता ने कहा- जाओ बेटा, धर्म को तुम्हारी आवश्यकता है।यह है हमारा भारत देश,ये हैं हमारी भारत की माताएं।जय भारत ।। जय भारत की माताएं।।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।
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