बुधवार, 11 दिसंबर 2024

जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल

जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल ।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल ॥ 
जोग (योग) - फलित ज्योतिषमें कुछ विशिष्ट काल या अवसर जो सूर्य और चन्द्रमाके कुछ विशिष्ट स्थानोंमें आनेके कारण होते हैं और जिनकी संख्या सत्ताईस (२७) है। इनके नाम ये हैं- विष्कुंभक, प्रीति, आयुष्मान्, सौभाग्य, शोभन, अतिगंड, सुकर्मा, धृति, शूल, गंड, बृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्ध, व्यतीपात, वरीयान् परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्मा, ऐन्द्र और वैधृति । लगन (लग्न) = ज्योतिषमें दिनका उतना अंश जितनेमें किसी एक राशिका उदय होता है। एक दिन रातमें जितने समयतक पृथ्वी एक राशिपर रहती है, उतने समयतक उस राशिका 'लग्न' कहलाता है। राशि बारह हैं - मेष ( यह भेड़ेके समान है और इसमें छाछठ तारे हैं), वृष ( यह एक सौ एकतालीस ताराओंका समूह बैलके आकारका है), मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। प्रत्येक तारासमूहकी आकृतिके अनुसार ही उसका नाम है। ग्रह वे नौ तारे जिनकी गति, उदय और अस्तकाल आदिका पता प्राचीन
ज्योतिषियोंने लगा लिया था। उनके नाम ये हैं-सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु । बार- दिन जिन्हें  आप सब जानते है है कुल सात हैं।तिथि- चन्द्रमाकी कलाके घटने या बढ़नेके क्रमके अनुसार गिनी जाने वाली , जिनके नाम संख्या के अनुसार होते हैं। पक्षोंके अनुसार तिथियाँ भी दो प्रकारकी होती हैं। प्रत्येक पक्षमें पंद्रह तिथियाँ होती हैं- प्रतिपदा, द्वितीया आदि । कृष्णपक्षकी अन्तिम तिथि अमावस्या और शुक्लकी पूर्णिमा कहलाती है। इनके पाँच वर्ग किये गये हैं- प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशीका नाम 'नंदा' है, द्वितीया, सप्तमी और द्वादशीका नाम 'भद्रा' है, तृतीया, अष्टमी और त्रयोदशीका नाम 'जया' है; चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशीका नाम 'रिक्ता' है और पंचमी, दशमी और पूर्णिमा या अमावस्याका नाम 'पूर्णा' है ।
इस प्रकार  योग, लग्न, ग्रह, दिन और तिथि सभी अनुकूल हो गये। जड़ और चेतन ( चराचरमात्र ) हर्षसे
भर गये (क्योंकि) श्रीरामजन्म सुखका मूल है ॥ राम जन्म की शुभकामनाओं सहित आप सभी को
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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