रविवार, 17 नवंबर 2024

मानस चर्चा ।।सुमति और कुमति।।

मानस चर्चा ।।सुमति और कुमति।।
जहाँ सुमति तह सम्पति नाना ।
जहाँ कुमति तह विपति निधाना ॥
आइए इस सच्ची कथा के माध्यम से इन पक्तियों के भाव का आनंद लेते हैं।
बाबू कुँवर सिंह अपने गांव के मुखिया थे। गांव में इन्हीं का
सब से बड़ा हिस्सा था, इनके दो लड़के थे अजयसिंह और विजयसिंह | अजयसिंह के चार लड़के थे और विजयसिंह के तीन । बाबू साहेब ने अपने मरने के पहले ही दोनों को अलग कर दिया और जगह जमीन तथा रुपये पैसे भी बांट दिये थे । बाबू कुँवर सिंह मर गये । अजय और विजय अपने २ परिवार के साथ रहने लगे, अजय के चारों लड़के आपस में लड़ा झगड़ा करते थे।पुत्र बधुयें भी कम लड़ाकी न थीं ।विजय के लड़के बड़े मिलनसार थे, वे आपस में कभी नहीं लड़ते थे, तीनों बेटों की बहुयें भी मेलजोल से रहती थीं । धीरे कुछ दिन बीत गये, अजय के लड़कों का मन मोटाव नहीं मिटा, कुमति दिन २ बढ़ती ही गई, खेत बारी नौकरों पर छोड़ दिये, मनमाना गांजा भांग उड़ाने लगे, रुपये पैसे के लिये झगड़ा होने लगा, फल यह हुआ कि अजयसिंह की जमीदारी चार हिम्सों में बट गई ।
इतने पर भी शान्त नहीं हुये, अधिकार के लिये मामले मुकदमे चलाने लगे, आपस में ही लोग लड़ पड़े, नतीजा यह हुआ कि आपस की कुमति से सभी जमीदारी वर्बाद हो गई। लोग दाने-दाने के लिये मरने लगे ।इधर विजय के लड़कों में पूरी सुमति थी, इन लोगों ने एक दिल होकर खूब काम किया । लाखों रुपये इकट्ठा कर लिये । लक्ष्मी लोटने लगी, अन्न से भंडार भरा रहने लगा ।
ठीक है-सुमति से ही सुख मिलता है, इसीसे उन्नति होती है, कुमति ने ही अजय के कुल का नाश करा दिया ।
अतः यह स्वयं सिद्ध है कि
जहाँ सुमति तह सम्पति नाना ।
जहाँ कुमति तह विपति निधाना ॥
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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