रविवार, 17 नवंबर 2024

मानस चर्चा ।। पछताने से क्या होता है ?।।

मानस चर्चा ।। पछताने से क्या होता है ?।।
आधार “का वर्षा जब कृषि सुखाने, समय चूकि पुनि का पछताने”
एक किसान ने जङ्गल में एक खेत तैयार किया, और पहले पहल उसमें मकई बोया । समय पर फसल खूब बढ़ी, किसान के आनन्द कोठिकाना न रहा । उसने सोचा- इस खेत से सारी मिहनत निकल आयेगी, कम से कम १०० मन मकई तो मिलेगा ही । धीरे २ मकई के बाल निकलने लगे, चारों ओर से पक्षी जुट जुट कर मकई के दाने खाने लगे--किसान पैर फैलाकर घर में सोता रहा। लोग आकर कहते थे अरे तुम्हारे खेत में झुंड के झुंड बुलबुल, तोते,
कौये, और गौरैये, दाना नोच रहे हैं। तब वह कहता था अच्छा कलसे इन्तजाम करेंगे। एक ही गुलेल से सैकड़ों को  गिरा देंगे। देखो न यह नया-नया गुलेल बना रहा हूँ, सैकड़ों को तो इसी से मार दूँगा । धीरे २ दस पांच दिन इसी में बीत गये । एक दिन किसान खेत पर गया- तो देखा कि फसल सूख गई है । काटने योग्य है परन्तु देखता
क्या है कि बालों में दाने एक भी नहीं हैं तब तो वह सिर पर हाथ रख कर लगा रोने चिल्लाने । हाय हाय ! हमारा सर्वनाश हो गया। सर्वनाश हो गया। लेकिन उसके रोने गाने से होता क्या है ? अब तो पक्षी सब दाने खा ही गये ।
ऐसे लोगों के लिए ही तो बाबाजी ने सचेत करते हुवे लिखा है कि,“का वर्षा जब कृषि सुखाने, समय चूकि पुनि का पछताने”
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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