रविवार, 17 नवंबर 2024

मानस चर्चा ।।सत्संग।।

मानस चर्चा ।।सत्संग।।आधार सुंदरकांड का यह प्रसंग
तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिय तुला एक अङ्ग ॥
तुल न ताहि सकल मिलि, जो सुख लव संतसंग ॥ 
माता लंकिनी भगवान हनुमानजी से कहती है कि
हे पुत्र ! सात स्वर्ग (भूर्लोक, भुवलोक, महलोंक, स्वर्गलोक, जनलोक, तपलोक, सत्यलोक) और मोक्ष के सभी सुखों को तराजू के एक पलड़े पर रख दिया जाय तो भी सत्संग के लव मात्र का प्रभाव के पलड़े से वे तोले नहीं जा सकते ।आखिर यह सत्संग का एक लव कितन वजनी है कितना भारी है आइए जानते हैं इस कथा के माध्यम से और सत्संग का आनंद लेते है।एक समय विश्वामित्र और वशिष्ठजीमें सत्संग और तपके विषयमें विवाद हुआ, वशिष्ठजी सत्संग और विश्वामित्रजी तपको बड़ा कहते थे, दोनों निर्णय करनेको शेषजीके पास गये और अपना वृत्तांत सुनाया। शेषजी बोले- यदि आपमें से पृथ्वीको कोई स्थिर कर दे तो हम उत्तर दें। विश्वामित्रने अपनी संपूर्ण तपस्याका फल लगा दिया, परंतु शेषजीके सिर नीचे करते
ही पृथ्वी गिरने लगी, तब वशिष्ठजी ने दो घडीके सत्संगका फल लगाया तो पृथ्वी स्थिर हो गयी, विश्वामित्र सत्संग को बढ़ा मान मौन हो चले आये । यह है सत्संग का बल, सत्संग का प्रभाव।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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