मानस चर्चा।।जो जस करइ सो तस फलु चाखा ॥
मानस चर्चा।।जो जस करइ सो तस फलु चाखा ॥
आइए हम आज मानस की इस उक्ति का आनंद इस
कहानी के माध्यम से लेते है ।एक प्रसिद्ध कहावत है कि
कुटिल मीत ते रिपु भलो, दुर्जन ते वरु व्याल ।
दुहुँ सरवस मोचन करत, समय पड़े है काल ॥
दण्डक वन में एक ऊँट रहता था । वह बड़ा सीधा साधा था । किसी से वैर-विरोध नहीं करता था । दिन भर अपना घूम-घूमकर चरता - और रात में किसी पेड़ के नीचे विश्राम करता था । उसी जङ्गल में एक गीदड़ रहता था वह बड़ा दुष्ट था,अनायास लोगों से वैर विरोध करता था । एक दिन वह ऊँट के पास आया और बोला - महाशय ! हम आपके गुणों पर मुग्ध हैं - आपकी संगति मुझे पसन्द है -- यदि आज्ञा दें तो हम आपके शरण में रहा करें। ऊट ने कहा कोई चिन्ता नहीं तुम प्रसन्नतापूर्वक रहो, मुझे किसी प्रकार का कष्ट न होगा । गीदड़ ऊँट के साथ रहने लगा, रोज वह उसके साथ इधर उधर घूमता और उसकी पीठ पर बैठकर खूब पके २ फलों को खाया करता था । ऊँट उसे खूब मानता था, अपने पीठ पर बिठाकर प्रसन्नता पूर्वक : उसे घुमाया करता था । उस जङ्गल में एक फूट का खेत था, खेत में खूब पके २ फूट लगे थे। एक दिन रात में दोनों उसी खेत में गये । गीदड़ का छोटा पेट थीड़ी ही देर में भर गया, ऊँट अभी खा ही रहा था कि गीदड़ ने हा भाई ऊट- अब तो मैं हुँआ हुँआ बोलूँगा । ऊँट ने कहा, भाई ! मुझे भी खा लेने दे।गीदड़ ने कहा- मुझसे तो बिना बोले रहा नहीं जाता, ऊँट मना करता ही रहा, परंतु गीदड़ लगा हुँआ, हुआ चिल्लाने | गीदड़ के चिल्लाने से खेत वाला जग गया और सोंटा लेकर दौड़ा, गीदड़ तो भाग गया, परन्तु ऊँट नहीं भाग सका, उस रोज विचारा ऊट खूब मार खाया। किसी भाँति गिरता पड़ता अपने पेड़ के नीचे आया और चुपचाप पड़ा रहा, सबेरे गीदड़ भी वहां आया और बड़ा गिड़गिड़ाया कि हमारा अपराध क्षमा कर दीजिये - अब कभी ऐसा काम नहीं करेंगे । ऊँट ने कहा, हमको कोई कष्ट नहीं, तुम आनन्द से रहो, फिर दोनों कुछ काल तक रहे । एक दिन गीदड़ ऊँट के उपर चढ़कर नदी के उस पार कूट खाने के लिये गया— लौटते समय जब ऊँट नदी में आया तब बोला कि भाई अब तो मेरा मन डुबकी लगाने का है । गीदड़ ने कहा भाई ! मुझे उस पार पहुँचा दो फिर तुम सैकड़ों डुबकियाँ लगाओ, ऊँट ने कहा नहीं भाई ! हमसे तो बिना डुबकी लगाये रहा ही नहीं जाता, क्या करें लाचार हैं । इतना कहकर ऊट ने पानी में गोता लगा लिया, उसका पानी में बैठना ही हुआ कि, गीदड़ नदी में वह गया और लगा डूबने, थोड़ी ही देर में पानी पीकर पानी में डूबकर मर गया । गोस्वामीजी ने सत्य ही कहा है-
"जो जस करै सो तस फल चाखा"
।।जय श्री राम जय हनुमान।।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ