रविवार, 17 नवंबर 2024

✓मानस चर्चा ।। को करि तर्क बढ़ावे साखा।।

मानस चर्चा ।। को करि तर्क बढ़ावे साखा।।
आइए इस तार्किक की हास्य कथा का आनंद लेते हुवे इस बात को अपने हृदय में बैठाने का प्रयास करें।
एक आदमी गया गांव में, उसका मित्र भी उसके साथ था,
तो कहा चलो गांव घूम कर आएं, तो एक जगह कोल्हू
चलाने वाला आदमी बैठा था अकेला, बैल अंदर घूम रहा था। वह बाहर बैठकर तेल बेंच रहा था, पिराई का काम शुरू है । तो उस तार्किक ने सोचा कि अकेला आदमी कैसे पूरा कार्य कर लेता है अपनी पूरी दुकान चला रहा है । उस व्यक्ति के पास पहुंच गया, उसने कहा कि बैल को कोई हांकने वाला नहीं। बैल कैसे चल रहा है । तो वह व्यक्ति बोला कि एक बार हम जाकर उसे हांक देते हैं और उसकी आंखों पर पट्टी बंधी है। वह समझता है हांकने वाला पीछे ही है इसलिए वह चलता रहता है।
यह तार्किक बोला यह तो कोई बात नहीं हुई,यह भी तो हो सकता है कि बैल चलते चलते रुक जाए, तुम्हें कैसे पता चलेगा ? तुम तो बाहर बैठे हो। तो उसने कहा मैंने
बैल के गले में घंटी बांध रखी है बैल चलते-चलते रुकता है तो, घंटी बजनी बंद हो जाती है हम समझ जाते हैं बैल ने चलना बंद कर दिया फिर जाकर हांक देते हैं ।
वह तो तार्किक था वह बोला- यह तो ठीक है लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है, की बैल एक ही जगह खड़ा खड़ा गर्दन हिलाते रहे अगर वो एक ही जगह खड़ा गर्दन हिलाएगा तो तुम्हें कैसे पता चलेगा क्योंकि घंटी तो बजती रहेगी । वह आदमी हाथ जोड़कर बोला क्षमा करें साहेब वह बैल है आपकी तरह तार्किक नहीं है ।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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