मानस चर्चा ।।राम के समान राम ही दूजा नहीं।।
मानस चर्चा ।।राम के समान राम ही दूजा नहीं।।
नील सरोरुह नीलमनि नील नीरधर स्याम ।
लाजहिं तन सोभा निरखि कोटि कोटि सत काम।।'नील सरोरुह नीलमनि नील नीरधर स्याम ।' नीले कमल के - समान कोमल एवं सुगन्धित, नीलमणि के समान चिक्कन एवं दीप्तिमान् और नीले मेघोंके समान गम्भीर एवं श्याम शरीर है राम की। तीन उपमाओंके देनेका भाव कि संसारमें जल, थल और नभ - ये तीन स्थान हैं। जैसा कि- 'जलचर थलचर नभचर नाना । जे जड़ चेतन जीव जहाना ॥ ' इन तीनों स्थानों की एक-एक वस्तु की उपमा दी। जल के कमल की, थल के मणि की और नभ के मेघ की।
कमलवत् श्याम और कोमल गुणों की चर्चा यहां भी है-
नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महासायकचारूचापं, नमामि रामं रघुवंशनाथम॥
मणिवत् श्याम और कठोर अर्थात् इससे पुष्ट और एकरस सहज प्रकाशमान गुण लेंगे। जैसा की प्रसिद्ध है-
परम प्रकास रूप दिन राती।
नहिं कछु चहिय दिया घृत बाती ॥
कमल और मणि सबको सुलभ नहीं, सबको इससे आनन्द नहीं प्राप्त हो सकता और इन्हें सर्वसाधारणने देखा भी नहीं, सुना भर है, अतः जलधर की उपमा दी। यह उपमान ऐसा है जिसे सबने देखा है । सब धर्म यहाँ मिल गये। मेघवत् गम्भीर और चराचरमात्रको सुखदायक हैं राम।पुनः, नीरधरसे श्रीरामजीकी सहृदयता तथा परोपकारपरायणता भी दिखायी है। मेघ जा-जाकर
सबको जल देते हैं और आप कृपानीरधर हैं, भक्तोंके पास जा जाकर कृपा करते हैं। यथा-
कृपा बारिधर राम खरारी ।
पाहि पाहि प्रनतारति हारी॥'
तीन उपमाएँ देकर राम को ही त्रिदेवका कारण बताया गया है। एक ही श्यामताको तीन प्रकारसे कहकर
'सत् चित् आनन्द' भाव दरसाते हुवे राम को ही सच्चिदानन्द कहा गया है।यह भी कि जलमें सर्वोत्तम नीलिमा नीलकमलकी, थलमें नीलमणिकी और नभमें
नीरधरकी है। इन तीनों नीलिमाओंकी शोभा सलोने श्यामसुन्दर राम में है । तभी तो राम के समान राम ही हैं दूजा नहीं हैं।
।।जय श्री राम जय हनुमान।।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ