✓राम के समान राम ही
राम के समान राम ही दूजा नहीं है तभी तो बाबा ने कहा हैं कि:- निरुपम न उपमा आन राम समान रामु निगम कहै।आइए आपका अद्भुत सौन्दर्य देखते हैं :-
नील सरोरुह नीलमनि नील नीरधर स्याम ।
लाजहिं तन सोभा निरखि कोटि कोटि सत काम।।
'नील सरोरुह नीलमनि नील नीरधर स्याम ।' नीले कमल के - समान कोमल एवं सुगन्धित, नीलमणि के समान चिक्कन एवं दीप्तिमान् और नीले मेघोंके समान गम्भीर एवं श्याम शरीर है भगवान राम की। तीन उपमाओं के देने का भाव कि संसार में जल, थल और नभ - ये तीन स्थान हैं। जैसा कि- 'जलचर थलचर नभचर नाना । जे जड़ चेतन जीव जहाना ॥ ' इन तीनों स्थानों की एक-एक वस्तु की उपमा दी। जल के कमल की, थल के मणि की और नभ के मेघ की। कमलवत् श्याम और कोमल गुणों की चर्चा यहां भी है-
नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महासायकचारूचापं, नमामि रामं रघुवंशनाथम॥
मणिवत् श्याम और कठोर अर्थात् इससे पुष्ट और एकरस सहज प्रकाशमान गुण लेंगे। जैसा की प्रसिद्ध है-
परम प्रकास रूप दिन राती।
नहिं कछु चहिय दिया घृत बाती ॥
कमल और मणि सबको सुलभ नहीं, सबको इससे आनन्द नहीं प्राप्त हो सकता और इन्हें सर्वसाधारण ने देखा भी नहीं, सुना भर है, अतः जलधर की उपमा दी। यह उपमान ऐसा है जिसे सबने देखा है । सब धर्म यहाँ मिल गये। मेघवत् गम्भीर और चराचर मात्र को सुख दायक हैं भगवान राम।पुनः, नीरधरसे श्रीरामजीकी सहृदयता तथा परोपकारपरायणता भी दिखायी है। मेघ जा-जाकर सबको जल देते हैं और आप कृपानीरधर हैं, भक्तोंके पास जा जाकर कृपा करते हैं। यथा-
कृपा बारिधर राम खरारी ।
पाहि पाहि प्रनतारति हारी॥'
तीन उपमाएँ देकर राम को ही त्रिदेवका कारण बताया गया है। एक ही श्यामताको तीन प्रकारसे कहकर
'सत् चित् आनन्द' भाव दरसाते हुवे भगवान राम को ही सच्चिदानन्द कहा गया है।यह भी कि जल में सर्वोत्तम नीलिमा नीलकमलकी, थलमें सर्वोत्तम नीलिमा नीलमणि की और नभ में सर्वोत्तम नीलिमा नीरधरकी है। इन तीनों नीलिमाओंकी शोभा सलोने श्यामसुन्दर राम में है । तभी तो राम के समान राम ही हैं दूजा नहीं हैं।निरुपम न उपमा आन राम समान रामु निगम कहै।।
।।जय श्री राम जय हनुमान।।
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