रविवार, 17 नवंबर 2024

मानस चर्चा।। मैं।।

मानस चर्चा।। मैं।।
मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहिं बस कीन्हे जीव निकाया।
आइए इस हास्य व्यंग्य की  कथा के माध्यम से इस बात को समझते हैं।
एक गांव की बात है एक घर में जब भी कोई साधु भीख मांगने जाता तो सास रोज मना करती बाबा कुछ नहीं है जाओ, एक बार वह सास किसी काम से गांव गई हुई थी घर में बहू थी वह बाबा आया और भीख मांगा तो बहू ने भी कह दिया कि कुछ नहीं है,, बाबा जाओ वह जब जाने लगा तो मार्ग में सांस मिली उसने बाबा जी से पूछा कहां गए थे, बाबा ने बोला तुम्हारे घर,, बोली मिला कुछ बाबा ने कहा नहीं उसने कहा क्यों,, मना कर दिया बहु कौन होती है मना करने वाली। मै करती तो ठीक उसने क्यों किया। तुम चलो भिखारी ने समझा इन दोनों के झगड़े में हमें फायदा होगा वह साथ आ गया । सास ने बहु को बहुत डांटा कहा बहू  तूने मना क्यों किया ? बहु ने कहा
माताजी रोज आप मना कर देती थी तो आज मैंने कर दिया, तो सास ने कहा अच्छा जो मैं करूंगी वही तू करेगी मेरी नकल करेगी- मेरी बराबरी करेगी, इस प्रकार ।बहुत डांटा  ।वह बाबा इंतजार में बैठे रहा कि सास कब देगी भीख, यहां डाटने के बाद सास बहू से बोलती है की बहू अरे मना करती तो मैं करती तूने क्यों किया, अब  सांस ने भिखारी से कहा बाबा जाओ मैं मना कर रही हूं कुछ नहीं
है जाओ। यह है।। मैं।।
।।जय श्री राम जय हनुमान।।

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