रविवार, 17 नवंबर 2024

मानस चर्चा।।मंत्री।।

मानस चर्चा।।मंत्री।।
सचिव संग लै नभ पथ गएऊ । विभीषंजी  'सचिव संग लै' किस कारण से गए ,ये सचिव कौन थे।  विभीषणजी  के साथ चार मंत्री रहे। चारों मन्त्रियोंके नाम ये हैं- अनल, पनस, सम्पाति और प्रमति । जैसा कि वाल्मिकीय रामायण में कहा गया है।
अनलः पनसश्चैव सम्पातिः प्रमतिस्तथा । 
'ये चारों विभीषणजीके परमहितैषी परमभक्त मन्त्री थे और उनके अनुकूल आचरण करनेवाले विश्वासपात्र थे। साथ ही ये बड़े विक्रमशाली थे और जब जैसा रूप चाहें धारण कर सकते थे । इनको साथ ले जानेका प्रधान कारण यह था कि सीताहरणसे लेकर अबतक विभीषण  भगवान्‌की कुछ भी सेवा नहीं कर पाए थे। अब जब राम वानर-दल लेकर रावणवधके लिये आये हैं तब इस कार्यमें शक्तिभर उनकी सेवा करेगें।  युद्ध छिड़नेके पूर्व ही बिना किसीके कहे उन्होंने अपने चारों मन्त्रियोंको राम का सारा विधान देख आनेके लिये भेजा था। वे पक्षी बनकर शत्रुकी सेनामें जाकर वहाँका सारा समाचार ले आये थे। इस तरह आगे भी मेघनाद और रावणके यज्ञों आदिका समाचार भी मन्त्रियोंद्वारा ही प्राप्त कर-करके इन्होंने श्रीरघुनाथजीकी सेवा की । मन्त्री साथ क्यों आये ? एक कारण तो बताया गया कि वे विभीषणजीके परम भक्त अनुचर थे, साथ ही भगवद्भक्त भी थे। दूसरे, पुलस्त्यजीके संदेशसे वे जान गये थे कि भगवान् रावणका वध करनेके लिये अवतरित हुए हैं और उसका कुलसमेत वध निश्चित है। अतएव उसका वध होनेपर विभीषणजी अवश्य यहाँका राज्य पावेंगे, हम उनके मन्त्री हैं, अतः उनके राज्यमें सुख भोगनेको मिलेगा। यह लालच भी हो सकती है। फिर यदि विभीषणजी इनको साथ न लाते तो यह भी सम्भव था कि रावण उनपर विश्वास नहीं कर सकता था, उसे संदेह रहता कि ये शत्रुको यहाँका गुप्त समाचार देते रहेंगे, अतः या तो उनको मरवा डालता या युद्धमें उनको प्रथम ही जुझवा डालता। दोनों तरहसे इनके प्राण जाते । अतः साथ ले आये ।एक और बात विभीषण जानते ही थे कि राजा, मन्त्री, सुहृद्, कोष, देश, किला और सेना ये राजा के सात अंग हैं। इन सात अंगों में से प्रधान अंग मन्त्री है, यदि यह बना रहे तो बिगड़ा हुआ सब बन जाता । इसलिए  विभीषणजी अपने मंत्रियों को साथ लेकर आए।
।।जय श्री राम जय हनुमान।।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ