✓मानस चर्चाश्री राम जी को वन भेजने की असली वजह
जय श्री राम,मानस चर्चा
श्री राम जी को वन भेजने की असली वजह
कई लोग कहते हैं कि सत्य के लिए राम जी का त्याग कर दिया दशरथ जी ने, लेकिन बात दूसरी थी, क्योंकि बचन तोड़ने के लिए तो दसरथ जी तैयार हो गए थे ।
अजसु होउ जग सुजसु नसाऊ।
नरक परौं बरु सुरपुरु जाऊ॥
बचन तोड़ दूंगा अपयश मिलेगा, मिल जाए, सुयश नष्ट होना है तो हो जाए, नरक मिलेगा तो मिल जाए, स्वर्ग ना मिले, तो न मिले।
बोलो दशरथ जी सत्य को छोड़ने के लिए तैयार हो गए-
वचन तोड़ने के लिए तैयार हो गए।
अच्छा तैयार हो गए थे तो छोड़ ही देते यहां तक कहा--
सब दु:ख दुसह सहावहु मोही।
लोचन ओट रामु जनि होंही॥
सारे दुख मिल जाएं तो सह लूंगा पर राम जी मेरे आंखों से दूर ना जाएं,अगर दशरथ जी वचन तोड़ देते तो रामजी वन ना जाते,लेकिन बात वचन की नहीं थी ।
अस मन गुनइ राउ नहिं बोला।
पीपर पात सरिस मनु डोला॥
पीपल के पत्ते की तरह मन डोल गया कि मैं वचन तोड़ भी नहीं सकता, क्यों नहीं तोड़ सकते ? सत्य के कारण अपने अभिमान के कारण बोले- ना ना ना, फिर ? समस्या सत्य की नहीं है- बात बचन की नहीं है बात दूसरी है ,तो दशरथ जी रोने लगे ।
तेहि पर राम शपथ करी आई |
मैंने राम जी की सौगंध कर कैकेयी जी को वचन दिया है कि तुम जो मांगूंगी वह दूंगा, अगर छोड़ता हूं तो जिसकी सौगंध की है उसका कहीं अमंगल ना हो जाए, इसलिए मैं वचन नहीं तोड़ सकता ।तेहि पर राम शपथ करी आई ।अर्थात् राम जी के शपथ के लिए दशरथ जी राम जी को वनवास भेजा, उन्होंने कहा मैं सत्य छोड़ सकता हूं पर राम जी की शपथ कैसे छोड़ दूं । इस प्रकार श्री राम जी को वन भेजने की असली वजह राम शपथ थी ।
।।जय श्री राम जय हनुमान।।
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