✓मानस चर्चा ।।सत्य वचन के साथ नियम पालन।।
मानस चर्चा ।।सत्य वचन के साथ नियम पालन।।
प्रगट चारि पद धर्म के
धर्म के चार चरण (सत्य, दया, तप और दान) प्रसिद्ध हैं,
इनमें से किसी एक का पालन नियम पूर्वक सदा करते रहे तो हमें प्रभु राम की अहैतुकी कृपा प्राप्त होती ही है। आइए हम इस कहानी का आनंद लेते हुवे प्रभु कृपा के अधिकारी बने।
एक संत थे। वे एक गरीब किसान के घर गए। किसान ने उनकी बड़ी सेवा की। सन्त ने उसे कहा कि रोजाना नाम - जप करने का कुछ नियम ले लो।जाने कहा बाबा, हमारे को वक्त नहीं मिलता। सन्त ने कहा कि अच्छा, रोजाना ठाकुर जी की मूर्ति के दर्शन कर आया करो।किसान ने कहा मैं तो खेत में रहता हूं और ठाकुर जी की मूर्ति गांव के मंदिर में है, कैसे करूँ? संत ने उसे कई साधन बताये, कि वह कुछ -न-कुछ नियम ले लें।पर वह यही कहता रहा कि मेरे से यह बनेगा नहीं, मैं खेत में काम करू या माला लेकर जप करूँ। इतना समय मेरे पास कहाँ है? बाल-बच्चों का पालन पोषण करना है। आपके जैसे बाबा जी थोडे ही हूँ। कि बैठकर भजन करूँ।संत ने कहा कि अच्छा तू क्या कर सकता है? किसान बोला कि पडोस में एक कुम्हार रहता है। उसके साथ मेरी दोस्ती है। उसके और मेरे खेत भी पास -पास है,और घर भी पास -पास है। रोजाना एक बार उसको देख लिया करूगाँ। सन्त ने कहा कि ठीक है। उसको देखे बिना भोजन मत करना।किसान ने इसे सत्य वचन कहकर स्वीकार कर लिया। जब उसकी पत्नी कहती कि भोजन कर लो। तो वह चट बाड पर चढ़कर कुम्हार को देख लेता। और भोजन कर लेता। इस नियम में वह पक्का रहा। एक दिन किसान को खेत में जल्दी जाना था। इसलिए उसकी पत्नी ने भोजन जल्दी तैयार कर लिया। किसान बाड़ पर चढ़कर देखा तो कुम्हार दीखा नहीं। पूछने पर पता लगा कि वह तो मिट्टी खोदने बाहर गया है। किसान बोला कि कहां मर गया, कम से कम देख तो लेता।अब किसान उसको देखने के लिए तेजी से भागा। उधर कुम्हार को मिट्टी खोदते खोदते एक हाँडी मिल गई। जिसमें तरह -तरह के रत्न, अशर्फियाँ भरी हुई थी।उसके मन में आया कि कोई देख लेगा तो मुश्किल हो जायेगी। अतः वह देखने के लिए ऊपर चढा तो सामने वह किसान आ गया। कुम्हार को देखते ही किसान वापस भागा। तो कुम्हार ने समझा कि उसने वह हाँडी देख ली। और अब वह आफत पैदा करेगा। कुम्हार ने उसे रूकने के लिए आवाज लगाई। किसान बोला कि बस देख लिया, देख लिया। कुम्हार बोला कि अच्छा, देख लिया तो आधा तेरा आधा मेरा, पर किसी से कहना मत। किसान वापस आया तो उसको धन मिल गया।उसके मन में विचार आया कि संत से अपना मन चाहा सत्य नियम लेने में इतनी बात है। अगर सदा उनकी आज्ञा का पालन करू तो कितना लाभ है।ऐसा विचार करके वह किसान और उसका मित्र कुम्हार दोनों ही भगवान् के भक्त बन गए।तात्पर्य यह है कि हम दृढता से अपना एक उद्देश्य बना ले,नियम ले लें कि चाहे जो हो जाये, हमें तो भगवान् की तरफ चलना है। भगवान् का भजन करना है। नियम बनाने की अपेक्षा नियम को पहचाने। नियम क्यों लिया गया है।धर्म के चार चरण (सत्य, दया, तप और दान) प्रसिद्ध हैं,।इनमें से किसी एक का पालन हम अवश्य करें। हमें प्रभु कृपा अवश्य ही मिलेगी।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।
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