✓मानस चर्चा ।।प्रभु प्रताप ते गरुड़ही, खाय परम लघु व्याल ॥
मानस चर्चा ।।प्रभु प्रताप ते गरुड़ही, खाय परम लघु व्याल ॥ सुंदरकांड में श्री हनुमानजी माता सीताजी से कहते हैं -
सुन माता शाखामृग , नहिं बल बुद्धि विशाल ॥
प्रभु प्रताप ते गरुड़ही, खाय परम लघु व्याल ॥
यह एक दृष्टांत भी है कि एक समय गरुड़जीने एक छोटे सर्पके बच्चेको खाने की इच्छा की। वह अपने प्राणोंकी
रक्षा के निमित्त विष्णु भगवान् के सिहासन के नीचे घुस गया। गरुड़जी सामने है बैठे कि जब निकलेगा, तो भक्षण करूंगा। भगवन ने विचार किया कि गरुड़ मेरे शरणागतको भी खाना चाहता है । भक्तका निरादर करता है। तब सर्प को भगवान ने वरदान दिया कि तू गरुड़ से भी अधिक समर्थ हो जा । जब सर्प बली हो गरुड़ पर झपटा तब पक्षिराज गरुड़ भगवान से प्रार्थना करने पर छूटे । इसी कथा की ओर इशारा करते हुवे प्रभु हनुमान ने सीताजीसे कहा सुन माता शाखामृग , नहिं बल बुद्धि विशाल ॥
प्रभु प्रताप ते गरुड़ही, खाय परम लघु व्याल ॥
।। जय श्री राम जय हनुमान।।
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