✓मानस चर्चा।।होइहि सोइ जो राम रचि राखा।।
मानस चर्चा।।होइहि सोइ जो राम रचि राखा।।
जो कुछ विधाता ने भाग्य में लिख दिया है वह होकर
-ही रहता है, चाहे कोई कितना ही परिश्रम करे परन्तु जैसा प्रारब्ध में लिखा है वैसा ही रहेगा, प्रारब्ध न बढ़ती है और न घटती है ।एक पुरुष अपनी स्त्री सहित कहीं जा रहा था और साथ में उसका पुत्र भी था। मार्ग में उसे भगवान शंकर और पार्वतीजी मिले | पार्वतीजी कौनउनकी दशा देख कर दया आ गई और महादेव जी से कहा कि हे नाथ इन पर दया करनी चाहिए । महादेव जी ने कहा कि, इन तीनों की कम नसीब है ।मेरी दया से भी इनको लाभ न होगा ।पार्वती जी ने बार बार आग्रह पूर्वक कहा तब महादेवजी ने उनसे कहा कि तुम तीनों एक एक चीज मुझ से मांग लो वह तुरन्त मिल जायगी । तब औरत ने सुन्दर स्वरूप मांगा वह तुरन्त रूपवती हो गई । एक राजा जो उधर से जा रहा था उसे देख कर अपने हाथी पर चढ़ा ले चला । जब उस के पति ने देखा कि मेरी स्त्री तो रूपवती होते ही हाथ से गई उसने हाथ जोड़कर महादेवजी से कहा कि प्रभु इस औरत का रूप सूअर के समान हो जायं सो उसी क्षण हो गई । अव जो राजा हाथी पर चढ़ा उसे ले जा रहा था उसके इस रूप को देखकर दंग रह और उसे तुरंत छोड़ दिया। अब पुत्र ने अपनी माता
के इस रूप की देखकर रो रो कर महादेव से प्रार्थना करने लगा और यह मांगा कि मेरी माता पहिले जैसी थी वैसी ही हो जाय वह तुरन्त वैसी ही हो गई । मतलब यह है कि तीनों को कुछ न मिला। तब महादेवजी ने पार्वतीजी से कहा कि देखा पार्वती विधाता ने जो प्रारब्ध में लिखा है वही मिलता है,हम चाहकर भी उसे उसके प्रारब्ध से ज्यादा कुछ नहीं दे सकते। तभी तो बाबा तुलसीदास ने कहा है-होइहि सोइ जो राम रचि राखा.,
।। जय श्री राम जय हनुमान।।
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