बुधवार, 7 मार्च 2018

।।एक का न था न रहा न रहेगा भी।।nothing was same or will be same

बहुत बीत  गया बहुत बीतेगा अभी।
आओ विचारे आज हम सब सभी।।
क्या कैसे कब कहते कभी-कभी।
सबकी करे सब बात सत-सत सभी।। 1।।
शहर की आबोहवा में गवईपन भी।
गाँव की गली-गली शहरीपन  भी।।
सत शिव सुन्दर सरग-नरक भी।
हैं दुःख-दर्द जहाँ सुख मरहम भी।। 2।।
प्राची प्रदीची उदीची अवाची भी।
आग्नेय नैऋत्य वायव्य ईशान भी।।
उर्ध्व-अधः मध्य सर्व ज्ञाताज्ञात भी।
ईश वायु-प्राणाधार वायुनन्दन भी।। 3।।
राम-कृष्ण बुद्ध-महावीर अन्य भी।
भारत वेद पुरान गीता कुरान भी।।
सिख ईसाई हिन्दू मुसलमान भी।
भारत बाग में खिले नर पुष्प भी।। 4।।
एक का न था न रहा न रहेगा भी।
एक सा न था न रहा न रहेगा भी।।
बाग था बाग सदा बाग रहेगा भी।
युगों से आबाद आबाद रहेगा भी।। 5।।


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