घोसले को त्यागना ही पड़ता है, We have to give up the nest.
।।We have to give up the nest.।।
इस जहां की रीति यही है जिसे हर को निभाना ही पड़ता है।उड़ो कितनी भी ऊँची उड़ान अंत में जमी पर तो आना ही पड़ता है।
हैं अनन्त अनन्त में राहें,किसी न किसी को पकड़ना ही पड़ता है।
यहाँ आकर एहसान नहीं,निज प्रारब्ध को
भुगतना ही पड़ता है।।1।।
राज राजेश्वर हो या दीन-हीन निर्बल,चाल चलना ही पड़ता है।
राजा हरिश्चंद्र और विप्र सुदामा को भी, यहाँ याद करना ही पड़ता है।।
जन्म-कर्म के मर्म को निज नेह गेह में भी, नित झेलना ही पड़ता है।
जीवन-ज्योति जलाना है तो,घोसले को त्यागना ही पड़ता है।।2।।
जीवन की रीत तो यही है ... बहुत ख़ूब ...
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