गुरुवार, 7 मई 2015

दिशा

अति हितकारी दिशा दशा देश देव  होते
तय करना नित नूतन लक्ष्य कदम सजोते।
देश दिशा नव कीर्ति ले संसार में फैले
युवान महान हो भारत गान गावे शैले शैले
पर मन्दिर मस्जिद गिरजाघर बिक जाते
पूज्य स्थानों पर भी हैं घाती घात लगाते।
निज में रम गम दूजो को नित नव दे जाते
रम में रम ज्ञान मान का पाठ पर को पढाते
अद्भुत
हैं हम हम जो चाहे कर जाते
लूट तन्त्र है लोकतंत्र यह सद वाक्य रटाते
ऋषि महर्षि हाजी पीर औलिया गाथा गाते
सब धर्मो के आदर्शों को कहते सुनते पाते।
पुरुषोत्तम का देश हमारा हम हैं इटलाते
गीता ने दी दिशा देश धर्म कोहैं नित गाते।
तय कर निश्चित दिशा दिया देवों ने हमको
कृतज्ञ हैं देश सदा पूजे प्रतिपल उनको।।
पूजित होने की चाह आह दे आज सबको
दिशाहीन से दिशाज्ञान मिले कैसे हमको।
खुद ही करो निर्माण खुद का अब तो
दिशा बोध हित शोध करो कर्म भी तो।
बढ़ा कदम निज सोच समझ से हो अभय।।
सद पथ से ही होगी निश्चित ही सद जय।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें