गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

ऐसा ही ढंग नित फैले दिग दिगंत

मिलता जहां सब कुछ ओ है कहाँ
यही है यही है यही है।
मैं पहुचा मिर्धा कालेज
जो था बहुत ही लवरेज
ढंग देख यहाँ मैं दंग हुआ
अचानक ध्यान भंग हुआ
भारत को ऐसा ही होंना चाहिए
ऐसी ही संस्कृति चलनी चाहिए
बता दू क्यों मैं प्रसन्न हुआ
पहले देता हूँ उनको दुआ
सारा स्टाफ सक्रिय वहाँ
भाषा व्यवहार सुघड़ तहाँ
तिलक लगा गुड़ खिला देते
शुभकामना की बहार बहा देते
सबमे क्या सुंदर ममत्व ला देते
भारतीयता सब तक फैला देते
यह दूर नहीं नागौर ही है
कालेजो का सिरमौर भी है
उम्मीद यही मैं करता हूँ अब
इसे बनाये रखने ताकत दे रब
ढंग यह हो न जाय कभी भंग
चलता रहे कालेज के संग संग।
जिसे देखा मैंने छियालिसवे वसंत।
ऐसा ही ढंग नित फैले दिग दिगंत।।

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