मन
सोच का मन से सीधा सम्बन्ध है
मन का सोच पर गहरा प्रभाव है।
मन मार सोच-सागर में डूबना
मन मलिन कर मन बोझिल करना है।।
तन-मन,दिल-दिमाग के आइने में
देखना परखना सवारना फितरत है।
जद्दो जहद जबरन जहा में जुर्रत,
ताल-मेल का बैठाना मन की शहादत है।।
चाहे अनचाहे करना करवाना
कभी कभी हमारे मन की कई कसरत है।
मन में लड्डू फूटना या पकाना
सुख शान्ति हेतु जहा की जरुरत भी है।।
मन के हारे हार मन के जीते जीत
हौसला बुलंद जिसका उसका मन है मीत।
बजरंगी सा सीना चीर गाते है गीत
सम विसम असम में जो न होते भयभीत।।
पलायन हल नहीं विचार बल वही
सहसा साहस समझदारी सूझ बूझ सही।
मन मजबूत करे निज कर्म इस मही
हर हाल हल तलाशना जिदारत है सही।।
खिचना बिसय बिकारों का काम
सिचना सदाचारों से मन बगिया भव धाम।
निजात देगे हर हाल सुखधाम
मन मानस मार मारे माधव मनमोहन माम।
4 टिप्पणियाँ:
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (02-02-2015) को "डोरबैल पर अपनी अँगुली" (चर्चा मंच अंक-1877) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
इसलिए ही कहते हैं शायद मन साफ़ और अच्छे विचारों वाला होना चाहिए ...
अच्छी रचना ...
मन तो भावों का दर्पण है ...सुन्दर प्रस्तुति
newpost कहानी -विजयी सैनिक
: रिश्तेदार सारे !
बहुत खूब।
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