रविवार, 25 जनवरी 2015

अपना गणतन्त्र स्वतन्त्र हो गया

पैसठवी वर्षगाठ पे छाछठवा दिवस गणतंत्र हो गया।
इस बिच हमारे देश में महान लोकतंत्र जवा हो गया।।
वीर भगत सावरकर आजाद सुभाषका भाव होगया।
पानी बिजली फ़ोन यूरिया चीनी लोन शोर हो गया।।
हर्षद मेहता जैन वन्धु काला धनका कामन गेम हो गया।
चारा बेचारा टू जी त्रि जी फ़ोर  जी ट्वंटी फ़ोर हो गया।।
गाँधी का अहिंसा सत्याग्रह सत्य चकना चूर हो गया।
आईप़ीएल में सट्टेबाजी शान का सिम्बल हो गया।।
राजनीति में साम दाम दण्ड भेद का भारी मेल हो गया।
आतंक में आकंठ डूबना नियति का अनूठा खेल हो गया।।
पल पल पग पग पावर टावर सोर्स् फ़ोर्स शेर हो गया।
करप्शन हत्या रेप से भारतीय संस्कार ढेर हो गया।।
येन केन प्रकारेन अपना काम बनाना आम हो गया।
दीन दुखियो का यहाँ सारा मारग अब जाम हो गया।।
संविधान आत्मा गणतन्त्र का संशोधन धाम हो गया।
सर्वप्रभुतासम्पन्न देश में योग्य युवा निस काम हो गया।।
अब वापस नव क्रांति से भ्रान्ति मिटाना  इकरार हो गया।
क्षेत्रवाद से उबर भारतीय रहना गौरव गान हो गया।।
बुराई जमीदोज करना सदाचार फैलाना अनिवार्य हो गया।
मुहतोड़ जबाब देना दुश्मनोका अब अपरिहार्य हो गया।।
भेद भाव जाति धर्म भाषा क्षेत्र रूप रंग भंग माग़ हो गया। 
  जय हिन्द को सतत बुलंद रखना युग काम हो गया।।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ