महासंत
देव दनुज नर नाग करते भागम भाग !
सदा सदरत सुजन विरत हो जप जाग !!
घर में पा जाते दशरथ सा अपूर्व भाग !
विस्वामित्र सा जपी भी करता विराग !!१!!
आदि अद्य अंत आता अपना अरिहंत !
पर पर पर काटन से कौन कहाये संत !!
पतझड़ पर छा जाए जो बनकर बसंत !
नर नरेश वही जन पूजित जो महासंत !!२!!
सदा सदरत सुजन विरत हो जप जाग !!
घर में पा जाते दशरथ सा अपूर्व भाग !
विस्वामित्र सा जपी भी करता विराग !!१!!
आदि अद्य अंत आता अपना अरिहंत !
पर पर पर काटन से कौन कहाये संत !!
पतझड़ पर छा जाए जो बनकर बसंत !
नर नरेश वही जन पूजित जो महासंत !!२!!
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