सकल परम गति के अधिकारी
कृत कर्म कृत काल में सभी माने सही !
काल काल है जाने जन पर माने नहीं !!
सत असत स्वभाव वश फैले हर कही !
दिखता दिन रात गुन दोष है इस मही !!१!!
निज करम धरम को ही मानते भारी !
पर खोट देखन में रत है दुनिया सारी !!
विरत धरम करम रत निनानवे झारी !
पाखंडी भी बन पंडित देवे ज्ञान भारी !!२!!
फैलावे जग जंजाल जगावे जुग जारी !
सरम त्याग बे सरम चाहते सुख सारी !!
बेवकूफ है इनकी नजर श्रम शर्म कारी !
गुन त्याग अवगुन गह की ये महामारी !!३!!
पूरब प्रतीक पिछड़े पन पुरातन पारी !
पाश्चात्य आग में लिपट सुखी भारी !!
खुद जल जलावे सबै कपटी नर नारी !
पर है सकल परम गति के अधिकारी !!४!!
काल काल है जाने जन पर माने नहीं !!
सत असत स्वभाव वश फैले हर कही !
दिखता दिन रात गुन दोष है इस मही !!१!!
निज करम धरम को ही मानते भारी !
पर खोट देखन में रत है दुनिया सारी !!
विरत धरम करम रत निनानवे झारी !
पाखंडी भी बन पंडित देवे ज्ञान भारी !!२!!
फैलावे जग जंजाल जगावे जुग जारी !
सरम त्याग बे सरम चाहते सुख सारी !!
बेवकूफ है इनकी नजर श्रम शर्म कारी !
गुन त्याग अवगुन गह की ये महामारी !!३!!
पूरब प्रतीक पिछड़े पन पुरातन पारी !
पाश्चात्य आग में लिपट सुखी भारी !!
खुद जल जलावे सबै कपटी नर नारी !
पर है सकल परम गति के अधिकारी !!४!!
1 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
गये साल को है प्रणाम!
है नये साल का अभिनन्दन।।
लाया हूँ स्वागत करने को
थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।।
है नये साल का अभिनन्दन।।...
--
नवल वर्ष 2014 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ