गुरुवार, 9 जनवरी 2014

पोषक

अब तबके तबके वाले करते कहते निराले !
फास गले की जैसे-तैसे झट दूजे में है डाले !!१!!
पोषक बन सदके सजदा करते सदा सबके !
कर्म-धर्म के पायक ही सायक होवे जनके !!२!!
खटकीरे सा लोहू अर्जित जनके धन गटके!
शोषक या तोषक पर मोचक दिखते सबके !!३!!
जाने माने पहचाने कुछ अनजाने भयसे !
शोषक को ही मोचक माने किस कारनसे !!४!!
पोषक-मोचक भाव भरे भय भव मन मे !
केचुली है छोड़,जोड़ हर मोड़ मिल तन में !!५!!      

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