पोषक
अब तबके तबके वाले करते कहते निराले !
फास गले की जैसे-तैसे झट दूजे में है डाले !!१!!
पोषक बन सदके सजदा करते सदा सबके !
कर्म-धर्म के पायक ही सायक होवे जनके !!२!!
खटकीरे सा लोहू अर्जित जनके धन गटके!
शोषक या तोषक पर मोचक दिखते सबके !!३!!
जाने माने पहचाने कुछ अनजाने भयसे !
शोषक को ही मोचक माने किस कारनसे !!४!!
पोषक-मोचक भाव भरे भय भव मन मे !
केचुली है छोड़,जोड़ हर मोड़ मिल तन में !!५!!
फास गले की जैसे-तैसे झट दूजे में है डाले !!१!!
पोषक बन सदके सजदा करते सदा सबके !
कर्म-धर्म के पायक ही सायक होवे जनके !!२!!
खटकीरे सा लोहू अर्जित जनके धन गटके!
शोषक या तोषक पर मोचक दिखते सबके !!३!!
जाने माने पहचाने कुछ अनजाने भयसे !
शोषक को ही मोचक माने किस कारनसे !!४!!
पोषक-मोचक भाव भरे भय भव मन मे !
केचुली है छोड़,जोड़ हर मोड़ मिल तन में !!५!!
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ