बुधवार, 20 नवंबर 2013

साथ

कौन करता सहायता ,अप्रत्याशित हर समय !
अपने पराये से दुर ,इंसानियत का विस्मय !!१!!
सु कर्म रत सु सोच पाता ,क्रिटिकल सचुएशन जब !
आता मानव मसीहा ,अपना बनाकर तब !!२!!
कहा कौन किसका नहीं ,पा पाता  है साथ !
कु करम करमी से भाग ,खिच ले नित निज हाथ !!३!!
समय समरथ दे पर हित ,स्वहित रत जन तल्लीन !
करवट ले जब तब यही ,करे सब कुछ मलीन !!४!!
अपना जब अपना होय, पर जन का का काम !
पराया ही अपना हो , तब अपना क्या नाम !!५!!
जब आपण आपण न हो ,आन आपण का होइ !
जब आन आपण हो जाय ,आपण आन का होइ !!६ !!
जहा सगो से मिले नित ,गम की नव सौगात !
आज कल कौन तैयार ,देने के लिए साथ !!७!!

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