मंगलवार, 10 सितंबर 2013

हे गन नायक

जय जय हे गनेश तू पूजित मातु- महेश ,
सुचिता शुभता वेश जाने जन जनेश !
थारो न्यारो वेश है ज्ञान बुद्धि ज्ञानेश ,
राज रचो राजेश भलो भलाई के रमेश !!१!!
वासरमणि तम हरन हौ आपु विघ्न हरन ,
सुमुख हे एकदसन रमते बन सिन्दूर बदन !
प्यारो रूप गजकरन भाते शुभ सब सदन ,
जगे जागरन जतन जात जरे जोत जरन !!२!!
लम्बोदर विघ्नेश बिनायक हर हर दर्द हे गननायक
 नाश विनाश के नायक सुख शान्ति के तुम दायक !
सुरप्रिय सुन्दर सु लायक सुवासित तेरा है सायक ,
परे पद पद्म पापी पूरन पावे पल पल पायक !!३!!
अब तो आ जा गनराज मेवाती लाल बुलाता है ,
सुन जा हर एक राज जगतसुत राज बताता है !!
करिवर बदन भरो सदन भगत स्वगीत सुनाता है ,
दिखा जा वो अब मार्ग जो जग जमात जगाता है !!४!!

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