रविवार, 1 सितंबर 2013

भोर

भोरवा भईल बिहान जागी सभे भईया किसान !
गली गली में हर मोड़ प परल बा बहुत काम !!
चहचहाई चिरई चेतावे हो गइल बा अब बिहान !
ह अराम हराम आलस छोड़ी कइल जा काम !!१!!
देखी रतिया गइल ओही तरे सब दुखवो जाई !
सुखवा बा मेहनत धाम करी काम सुखवो पाई !!
जे टुकुर टुकुर ताके फुदुके ओहु के त बारी आई !
अबहिन त बानी लायक त आपन बना के जाई !!२!!
इ सुन्नर सुघर सुघरी सुदेश दे घूमि घूमि सबके !
चेहरा देखावे रोज भोरवे निज घूघट उठाइके !!
जागी के पाई सुती के गवाई कहे ठुमका लगाइके !
सुख -सुन्दरी बतावे सबके सच झलक दिखाइके !!३!!

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