मंगलवार, 6 अगस्त 2013

हर पग सफलताओं को चूमते

जिनके  हैं कर्म  -धर्म  साथ-साथ घूमते !
उनके हैं हर पग सफलताओं को चूमते  !!
बात है विचारना ,हर पल सवारना !
सपने अपने- अपने कर्म कथा को कहते !!
कल्पना के गहने ,पहन सदा सब रमते !
ये गहने गहने न हो हैं  सब इससे बचते !!
इन्हें छोड़ केचुली सा जो  निज पथ चलते !
यथार्थ पटरी रेल सा चल मंजिल टेशन उतरते !!
संभावनाये -कल्पनाये हैं अनन्त ,
स्वपनिल लोक सा इनमे भ्रमण करते !
मिलता न जीवन सफ़र का अंत ,
चाहें जहा जहा में हैं यायावर बनते !!
लक्ष्य पथ चुनकर ही हैं जब कदम बड़ते !
आखें न मुदकर सोच सोच हर पग रखते !!
सीता खोज लक्ष्य पा बाधा लंकिनी से न डरते !
विभीषण सहायक मिलें जब सत्कर्म हैं करते !!
निश्चित पथ पर निश्चित ढंग से जब हैं चलते !
तब बहुगामी पर हैं हर पग सफलताओं को चूमते !! 

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