रविवार, 18 अगस्त 2013

अन्धो में काना राजा

पाकर सुख क्षण भंगुर रहता है मद मत्त सदा !
कहता कहता करता न कुटिल काग सा  फ़िदा!!
सरदार सदा सबका सरदार सोचे सब युदा युदा !
ले दे कर चलते हैं  साथ है साथी सब मुदा मुदा !!१!!
काना ही सरदार जब साथी सारे सारे अंधे है!
संकीर्ण सोच स्वकेंद्रित सतासत सब धंधे हैं !!
बाजी जीत लक्ष्य शकुनी मामा सा ही कंधे हैं !
चरते भरते हैं बड़े ये तो बड़े काम के बन्दे हैं !!२!!
स्तर बड़ा अंधों का पर इनमें भी तो अन्तर है !
का सुनावे का दिखावे ये बड़े बड़े ही मंतर हैं !!
राजा का  रूप धर  कभी मदारी कभी बन्दर है !
घूट घूट घोट  घोटाला घोटू घोटक सारे अन्दर है !!३!!
प्रताड़ना पल पल पा पूजे पग परहेजी प्रजा !
यति सा समय पथ कंटक की मिले  सजा !!
काट छाट तोड़ फोड़ कर बजाते है ये बाजा !
जहां हैं सारे  अंधे होगा अंधों में काना राजा !!४!! 

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