रविवार, 11 अगस्त 2013

बेगम

प्रश्न विचार कर देखा है जब ,हमने पाया सवाल तो सवाल है तब !
रचना रचयिता की अद्भुत जब ,उसको भी घेरा है सवालों ने तब !!
देव दानव मानव अमानव सब ,नर मादा रूप धरना  ही होता जब !
नर सुख शांति सम्पन्न होता कब ,मादा हर लेती है  सारे गम जब !!१!!
स्त्री भार्या पत्नी अर्धांगिनी है ,बीबी प्रिया अति प्रिय बेगम भी है !
इनके रूप राशि कोटि काम कला पर ,हर पल न्यौछावर नर सदा है !!
सामने शत रूप धर रूपसी अरूप में,मर्द की मर्दागिनी तब बेदम है !
जो गम सारे दूर कर रूप रस डुबोकर ,वो रूपसी स्व नर की बेगम है !!२!!
पाथर सा पति पथ प्रस्तर पर गमन ,नहीं जो कभी भी होता सरल है !
पिघला पिघला निज प्रेम ताप सब ,करती रहती नित सब सुगम है !!
दर्द सब गर्व से सह सहगामिनी ,साथ साथ करती रहती सब सहन है !
हो योग्य ले लेने को गम शौहर ,तब तो वह नारी हो सकती बे गम है !!३!!
गम आँसू नहीं दिखे पी लेवे चुपचाप ,सिकवा शिकायत नहीं है पास !
जगमगाती ज्योति जू जहा जोहती ,जुमा जुमा जोग जोरू जर जास !!
कर्म पथ पग पड़े तब अड़े न ,चाहें आये कंटक दुःख द्वारे हर बार !
काट कष्ट कंटको को बिछा दे,सुख साधन सारे बेगम है बार बार !!४!!
परम पिता की परम कृति ,करती करम रचती नित नव नव रचना !
बेगम बीबी माता सेवक सखा सा ,हर गम   हरती हरि हर सा संरचना !!
सत सब सरल संसार में है,नहीं है पर है सुघर सरल बेगम बनना !
बेगम के होते न हो कोई गम ,शुरू करता वह मर्द तब बे गम रहना !!५!! 

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