शनिवार, 3 अगस्त 2013

अब पड़ रही पुरुष पर नारी भारी

प्रकृति पुरुष  का सपना !
यह विधि की अनुपम रचना !!
प्रकृति व नारी हैं पुरुष पर भारी !
युगों युगों तक ठेकेदारों से हारी !!
हारा नहीं हराया इसको ,मिलकर पुरुष संग नारी !
पर युग बदला समय बदला ,अब पड़ रही पुरुष पर नारी भारी !!
आने दो माँ मुझको ,दिखाउगी सबको कैसे अबला है भारी !
सह कर सब यातना मृद पात्र सा ,कह रही अब हमारी बारी !!
पुरुष रहा या रही  नारी सबने मिलकर गला घोटा है बारी बारी !
गर्भ में आयी तीसरी संतान भी जब हो गयी कन्या कुमारी !!
माँ के कष्ट पिता के ताने घर के उलाहने !
सभी परिस्थितियाँ लगी है तंग करने !!
कुमारी ने तब संभारी गर्भ में ही पारी !
माँ अब नहीं हारना हारेगी दुनिया सारी !!
अभिमन्यु ही नहीं मैंने भी पाया है गर्भ ज्ञान !
उससे भी बड़कर मै बनूगी है मेरा सपना महान !!
पिता सिख से चक्रव्यूह तोड़ा था अभिमनु !
ताना बाना से सिख ताना बाना तोड़ेगी मनु !!
माँ क्या समझाए माँ को समझाए मनु !
भूख प्यास दुःख दर्द देखा है जो तेरा तनु !!
आने दो अब मुझे आने दो हो गया सो जाने दो !
मै आ जाती हूँ तब होता है देखो हाथ दो दो !!
मेरा सामना  तो होगा माँ मै आउगी !
धैर्य धर दुःख झेल मै तेरा दुःख मिटाउगी !!
कन्या भ्रूण हत्यारों सहित उनके कुल को सबक सिखाउगी !
दहेज़ लोभी सुरसा का सब मान हरण करवाउगी !!
नहीं पायेगे साथ नारी का वे क्वारे कर जायेगे !
आने वाली नस्ल वे ट्यूब बेबी से ही बदायेगे !!
कहना केवल कहना है ,नारी पुरुष का गहना है !
माँ बेटी दादी नातिन पर सबसे भारी बहना है !!
भोग्या नहीं सुख आधार शिला !
जिस जिस ने मेरा जीवन लिला !!
उनके वंशज वंचित ,नहीं पाए सुख संचित !
पायेगे सब दुःख वे नहीं इसमे संसय किंचित !!
सब योगता होगी मेरे पर कृपाल !
बनेगी मेरी वही सर्वत्र महा ढाल !!
योग्यता का बन मिसाल मै ले लूगी सब पद विशाल !
राजनीति हो या हो कोई विभाग जन देखेगे मेरा भाल !!
सारे कामी क्रोधी कुटिल लालची को पग पग नाच नाचाउगी !
माँ आने दो मुझे आकर मै इनको इनकी औकात दिखाउगी !!
आज दुःख देख कल सब सुख तेरा !
माँ ले लो गर्भ से ही वचन मेरा !!
अभिमन्यु बन कर ये सब छिन्न -भिन्न !
यहाँ मनु तेरा लायेगी लायेगी युग नवीन !!
जानेगी तब तरस तरस दुनिया सारी !
अब पड़ रही पुरुष पर नारी भारी !!  

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