राधेश्याम
कृष्ण कथा की का कथा समुझै नित मन लाय!
मिट जाय जग की व्यथा ज्यो तृषा जल पाय!!१!!
राधा राधा की धार धोवै सब अघ सार !
पा कृपा तू एक बार कर लो बेरा पार!!२!!
मातु पिता राधेश्याम धर मातु पिता रुप!
पालन पोषण जगत का करते कर हर स्वरुप!!३!!
देश काल लोक हित में पाकर इनका वचन!
होगा नहि अप्रत्यासित कुकंटको का दमन!!४
हम सब सदा करते नमन इनको भज दिन रात!
भारत की सवरे दशा हो जाय करामात!!५!!
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