शुक्रवार, 17 मई 2013

जीवन-जनक

जीवन हो सकल सुख साधन सम्पन्न,हो रहा आज है नर इस हेतु अघ सरन!
जीवन ज्योति जग मे जगमगाती सर्वदा,एक एक कर भले ही हो सब योनि गमन!!
जीवन अमृत को पा नर क्यो नित भूलता,सुख दुख दिन रात सा न्ही इसमे चयन!
जीवन जहर कर स्वमेव ही नित नव,आपदा जंजीर का क्यो करता नित आलिंगन!!१!!
मत्स्यान्याय हो रहा सबकी नजर सर्वत्र,द्वापर कथा आज व्यथा द्रोपदी चिर-हरन!
बाहुबली हस्त स्व चिराग हित नित रत,पर जीवन ज्योति का कर रहा है शमन!!
जीवन न्याय हैजीवन काल मे ही पूरन,करना है हिसाब चाहे करो जितना जतन!
जिसकी लाठी उसकी भैस है प्यारा कथन,किसके लिये इस पथ करते न्याय दमन!!२!!
जीवन लाल बन जीवन दान की कसम,लेकर करते सुकर सा निज पेट भरन!
कह रहा श्वान आज घूम-घूम गली-गली,देखो दोस्तो मुझे नही मरना मानव-मरन!!
मरना मारना मर जाना हर जीवन के,नव जीवन पाने के क्रम का है सदा बरन!
लूटना लूटाना लूट जाना इस जगत में,छूटना है सब साथ जाता तो नही है कफन!!३!!
जीवन लालसा सा लगा गले सब सबको,पूजा पाथर की कर ज्ञाताज्ञात से ले सबक!
जीवन पथ हो सहज सरल सुवासित,त्रिपथगा सा ठान लो जन तारने की सनक!!
कलयुग ही है काल नही मानव मन का,मत भरमो इसमे ले गफलत की भनक!
काट छाट कर छोटा बडा मत बनो कभी,बनना ही है तो बनो जीवन मे जनक!!४!!

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