गुरुवार, 9 मई 2013

ॠतु परिचर्चा

मधु-माधव माह महाराज माहन माहै,मोहै मालती मलयानिल मार मानव मन!
बासंती बयार बतावे बनावे बतकही,बरबश बुलावे बहलावे बहु बहु बन!!
फुलै फलै फूल फल फहरत फबिफात,फहरावे फर फेरि फेरि फनिक फन फन!
सोना सी सोहै सुधरा सुधर सुघर सर,सुरासुर सुर साजे सजावे सब सनासन!!१!!
जीवन जोत जगावे जगती जगमगावे,जाडा जावे जन जनावे जोरि जोरि जागरन!
जाड जड जोडि जुगल कर अनवरत,जावे पर बतावे गीता ज्ञान हो नन्दा शरन!!
आवे ग्रीष्म गरमी ले अगवानी वैशाख ले,अबार हाल इहै तो जेठ शुरु का का तपन!
जेठ की दुपहरी क दाघ निदाघ का करी,सोच सोच आकुल छाया भागत छाया शरन!!२!!
आषाढ माह गरमावे त बरसा बुलावे,झिमिर झिमिर झक झोरि झोरि रोज बरसै!
सावन भादो नाम बरसा रितु सब जाने,सावन की कजली बिरहिनी के जिया तरसै!!
सिय बियोग में राम गति जाने जो जनावे,पपीहा नित चातक चातकी की बात करसै!
धरा धन्य धन धान ध्रुव धर धरोरुह,हरियाली हर हर मानव मानव हरसै!!३!!
क्वार माह खुशबू कातिक का बन गरम,टेर दे जन जन काम आई धरम करम !
नेह नित निबाहन नव राग बढावन,चतुरमास चहुदिसि होत पूरन परम!!
राग रोग भाग,भोग भागसु रजनी बढ,सुकरम हेतु बतावे गहनतम मरम!
तीज त्यौहार खुशियो को झूम कर मनावो,भूल जावो गम शरद सिखावे यह धरम!!४!!
पतझड पर प्रीति परम पावन पाय,अगहन पूस माह हेमन्त छाय जहा जाय!
कहनी का इनकी जोर दे पल प्रकृति की,धरोहर धरावे धरतीसुत से धाय धाय!!
भविष्य सुधर जाये हर उस जन का,सुधा सुधरम सुकरम का जो जो अपनाय!
भावी आवे ही आवे मेटि न जाय सब गावे,दुख सुख दिन रात जरा जवानी सु बताय!!५!!
शिशिर आगमन पूस के चरन धरन,माघ पूरा अपना हक छोड फागुन झलक!
कपावे तन मन पीपल पात सु सुबह,जम जाय जन जीवन प्रेमी प्रेयसी पलक!!
घर जवाई सु होय मान घटाय सूरज,राहत-रेवडी वास्ते लोग निहारे अपलक!
रहता नही दिन मान एक सा हरदम,रितुराज राजा सा पूर्ण करे जगायी ललक!!६!!  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें