शनिवार, 8 दिसंबर 2012

धन रोग का यायावर


अगर व्यक्ति रोगी हो तो निदान सम्भव,
पर व्यक्ति ही रोग हो--तब क्या सम्भव?
रोग एक हो तो कुछ कहें,
पर रोग ही रोग हो---तब क्या कहें?
प्रेम रोग,खेल रोग, देह रोग और हैं,
सुख रोग, मानसिक रोग और हैं!
पर धन रोग सबसे खोटा है,
और यही तो सबसे मोटा है!
उत्कृष्ट है यह, और हैं इस पर सारे के सारे रोग न्यौछावर!
इसके लिये इसके रोगी को बनना पङता है यायावर!!

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ