रविवार, 8 नवंबर 2015

आओ दीवाली मनाये

आओ दीवाली मनाये,
खुशी ख़ुशी दीप जलाये।
मन मयूर सद पर फैलाये,
माता की यश गाथा गाये।।आओ दीवाली मनाये।।
सद संकल्प सदा हो पूरन,
असद विचार दूर भगाये।
दीप शिखा सम पवित्रता,
जन जन में भर जाये।।आओ दीवाली मनाये।।
नव चेतन नव भाव वाहक,
धरा का कण कण हो जाये।
कण कण क्षण क्षण का मान,
हम हर थल कर पाये।।आओ दीवाली मनाये।।
आन मान शान कर रक्षित,
धरती माँ का शाख बनाये।
तज निज स्वार्थ पशुता को,
थोडा परमार्थी बन जाये।।आओ दीवाली मनाये।।
उड़े पर पर रक्षित कर,
पर सहित न स्व पर कटाये।
अपना तो है ही अपना,
पर को अपना बनाये।।आओ दीवाली मनाये।।
तन सा ही मन को भी,
सद्कर्मो से झलकाये।
चहु दिशि आचार पुष्प,
पग-पग पर महकाए।।आओ  दीवली मनाये।।
स्नेह दीप में त्याग वर्तिका,
मानवता का तेल मिलाये।
बरसों से जो बनी दूरिया,
उनको आज मिटाये।।आओ दीवली मनाये।।
जाति धर्म से पहले इंसा,
जल्दी सबको समझ में आये।
निज तन घर गाँव शहर सह,
पर रौनक पर भी इठलाये।।आओ दीवाली मनाये।।
यह दीवाली जन जन घर घर,
करुणा माया ममता लाये।
माता बेटी बहना धरा की गहना,
इन्हें न हम क्षति पहुचाये।।आओ दीवाली मनाये।।
सुख शांति सदा संग सोहे,
लालच मोह कोह भग जाये।
शुभ कामना मेरा सब तोहे,
जीवन पराग सा हो जाये।।आओ दीवाली मनाये।।

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