श्री पार्वती पति वन्दे।
रे मन पा सदाआनन्देश्री पार्वती पति वन्दे। जिन्ह मन अजिर वास शंकर तू बन बन्दे।
सत कोटि काम छबि आनन नव अरविन्दे।
भरे नित नवआनन्दे श्री पार्वती पति वन्दे।1
जुग भुज शोभे सुजन सम विकट भुजंगे।
हर कष्ट हरे हर हरका बोलो हर हर गंगे।
मन्मथ मथ चिर दुःख हर हर सुख भर दे।
हैं सत चित आनन्दे श्री पार्वती पति वन्दे।2
नन्दी संग बाटे भंग भंग सब विपदा कर दे।
मातु पिता भ्राता वन्धु का पल पल सुख दे।
हेअखिलेश्वर ओंकारेश्वर मन सत्यम दे दे।
हो मिलन ब्रह्मानन्दे श्री पार्वती पति वन्दे।3
करतल गत हो सब सदगुन तव भक्तन के।
जन मन मधुप रस ले सतत पाद पद्मन के।
प्रकृति पुरुष प्रेम रस डूबतरै भव सागर के।
पावे सब परमानन्दे श्री पार्वती पति वन्दे।4
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