रविवार, 29 दिसंबर 2013

लानत

कबहु कतहु कैसे किससे कर्म धर्म करवावे कौन !
मुखर होगा कि मन मसोज कर रह जाएगा मौन !!
सत असत जानत मानत है नहीं व्यवहार आनत !
झूठ फरेब धोखा धड़ी घात प्रतिघात को है लानत !!  

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