शिक्षा education hindi poem
रोजगार नाग दंस से है अर्धविछिप्त समाज !
गिर रहा प्रतिभा का सम्मान हर जगह आज !!
गिर रहा प्रतिभा का सम्मान हर जगह आज !!
राजनीति कूटनीति से ये लेते निज रोटी सेक !
नित नवीन विकल्पों को देते बार-बार फेक !!
ये मद मस्त आतुर है करने को समाज पस्त !
जाति धर्म भाषा क्षेत्र में उलझा करे हमें त्रस्त !!
बेरोजगारी सुरसा बदाये नित निज भय आनन!
कोर्ट कचहरी क़ानून प्रहरी रोके भरती विधानन !!
कारण हो गया है सोचनीय दर्शनीय मंथनीय !
बद नीतियों से ही है बन रही दशा अकथनीय !!
शिक्षा की परीक्षा है या है यह परीक्षा की शिक्षा !
बिगाड़ दिए है खेल दे कर नाम इसे सर्व शिक्षा !!
अंगूठा टेक रहेना एक के नाम कर रहे साक्षर !
शिक्षित साक्षर बनो रहो भले शिक्षित निरक्षर !!
कूडा ढेर डिग्री बन रही है फाईलो में सज रही !
यूथो को कचरा मास्टर बनाने में लगी है सही !!
जो है शिक्षा सम्पन्न और सर्व ज्ञान के धारक !
वे ही हो सकते है हर समय यहाँ विद्या तारक !!
पर वाह कुसंग तू नसावे स्व साथ मिलावे कैसे !
नक कटी समाज नाक वाले की नाक कटावे जैसे !!
चले सत्रांक प्राप्तांक संयुक्तांक की भारी खेल !
पास होना तय हुआ मिटा अध्ययन का झमेल !!
आठवी तक तो किसी को नहीं करना है फेल !
शिक्षा स्तर सुधारने वाह रे सुन्दरतम खेल !!
शत प्रतिशत हो जायेगी भविष्य में साक्षरता !
भारत की गरिमा महिमा मंडित करे अक्षरता !!
साक्षर शिक्षित विलग विलग हैन्यारे इनके भाव !
असंख्य शिक्षितों का साक्षर सा बना देगे स्वभाव !!
शिक्षित सह शिक्षित साक्षर पा रहे है राज काज !
निश्चित ही समाज पर गिर रहा है यह गाज !!
मन मार कर रहा है आम आदमी जहर पान !
ऐसी क़ानून डालेगी कैसे देश हित नव जान !!
शिक्षा स्तरीय या स्तरहीन विषय वस्तु युक्त !
स्तरीय बनाने को होते है नित नवाचार प्रयुक्त !!
शिक्षा प्रारम्भांत सबको मिल सुधारनी ही होगी !
नित नव ज्ञान विज्ञान से संचालित करानी होगी !!
तब जाकर गली गली अलख जगाएगी सद शिक्षा !
फहरे परचम भारत का सर्व सुलभ हो सद शिक्षा !!
नित नवीन विकल्पों को देते बार-बार फेक !!
ये मद मस्त आतुर है करने को समाज पस्त !
जाति धर्म भाषा क्षेत्र में उलझा करे हमें त्रस्त !!
बेरोजगारी सुरसा बदाये नित निज भय आनन!
कोर्ट कचहरी क़ानून प्रहरी रोके भरती विधानन !!
कारण हो गया है सोचनीय दर्शनीय मंथनीय !
बद नीतियों से ही है बन रही दशा अकथनीय !!
शिक्षा की परीक्षा है या है यह परीक्षा की शिक्षा !
बिगाड़ दिए है खेल दे कर नाम इसे सर्व शिक्षा !!
अंगूठा टेक रहेना एक के नाम कर रहे साक्षर !
शिक्षित साक्षर बनो रहो भले शिक्षित निरक्षर !!
कूडा ढेर डिग्री बन रही है फाईलो में सज रही !
यूथो को कचरा मास्टर बनाने में लगी है सही !!
जो है शिक्षा सम्पन्न और सर्व ज्ञान के धारक !
वे ही हो सकते है हर समय यहाँ विद्या तारक !!
पर वाह कुसंग तू नसावे स्व साथ मिलावे कैसे !
नक कटी समाज नाक वाले की नाक कटावे जैसे !!
चले सत्रांक प्राप्तांक संयुक्तांक की भारी खेल !
पास होना तय हुआ मिटा अध्ययन का झमेल !!
आठवी तक तो किसी को नहीं करना है फेल !
शिक्षा स्तर सुधारने वाह रे सुन्दरतम खेल !!
शत प्रतिशत हो जायेगी भविष्य में साक्षरता !
भारत की गरिमा महिमा मंडित करे अक्षरता !!
साक्षर शिक्षित विलग विलग हैन्यारे इनके भाव !
असंख्य शिक्षितों का साक्षर सा बना देगे स्वभाव !!
शिक्षित सह शिक्षित साक्षर पा रहे है राज काज !
निश्चित ही समाज पर गिर रहा है यह गाज !!
मन मार कर रहा है आम आदमी जहर पान !
ऐसी क़ानून डालेगी कैसे देश हित नव जान !!
शिक्षा स्तरीय या स्तरहीन विषय वस्तु युक्त !
स्तरीय बनाने को होते है नित नवाचार प्रयुक्त !!
शिक्षा प्रारम्भांत सबको मिल सुधारनी ही होगी !
नित नव ज्ञान विज्ञान से संचालित करानी होगी !!
तब जाकर गली गली अलख जगाएगी सद शिक्षा !
फहरे परचम भारत का सर्व सुलभ हो सद शिक्षा !!
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ