रविवार, 29 दिसंबर 2013

पावकमय ससि स्रवत न आगी !

जय जय जय हे मम हनुमाना !तारक सीता तू जग जाना !!
आपसु आस विश्वास राम सा !गिरिजा के हैं आपु तात सा !!१!!
करू रक्षा इष्टदेव हनुमाना !जानकी जू भगत परसाना !!
समय प्रहार बज्र सम लागे !सारी ठगी तभी तो भागे !!२!!
लूट झूठ बल करते त्यागी !मानहु मोहि जानि हत भागी !!
गला विश्वास का हैं मरोड़े !भाई बन सुख शान्ति जोड़े !!३!!
है काल वश जगत गोसाई !सहोदर अन्य दूजा भाई !!
रवि किरण कभी आग समाना !पर जाड़े में परम सुहाना !!४!!
अमरित बरसे चन्दर सुख का !मंजर आगामय वह दुःख का !!
पावकमय ससि रमा भासती !हतभागी बन आग मागती !!५!!
कवि कुल कमल तुलसी ज़ुबानी !सदा सत्य सिख देय कहानी !!
समय शत्रु डर है भाग भागी !पावकमय ससि स्रवत न आगी !!६!!
 

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