रविवार, 22 दिसंबर 2013

आदत

जन जन की लत पाती रहती गत ,
सुघर सुघरी सद्गती दायक मत !
काने खोरे कूबरे है अंगो से बिगरे ,
विरले अयबी भले अनभले  सिगरे !
श्वान पालित अपालित रक्षित अरक्षित ,
पूछ टेड़ी की टेड़ी हो भले यह संरक्षित !
आदत अलग -अलग पहचान बनाती है ,
रवि चन्द्र सा जग,जग जगाती है !
आदत ही है जो इन्सान को इन्सान बनाती है ,
लत डाल लिया जो जैसा उसे वैसा बनाती है !
विविध अभिधान आदत से आदती पाते है ,
ईमानदार बेईमान सहिष्णु असहिष्णु होते है !
आदत स्थायी है अस्थायी है बनती है बिगडती है ,
सुधरती है सुधारती है स्वयं ही स्वभाव बनाती है !
स्वभाव से सुन्दर अभाव दूर करे सबका ,
बिगाड़  दे बना काम जब स्वभाव हो कड़का !
आहार बिहार मानो शक्तिवर्धक है आदत का ,
संगति संगीत गीत झलकाती रंग दंग आदत का !
आदत और वाणी आधार स्तम्भ है ,
पाने गवाने बनाने बिगाड़ने की कसौटी  है !
पाते पान प्रतिपल प्रसाद प्रवीण आदती ,
खाते लात लत से सुधारे नहीं है जो लती !
ताकत प्रमाद प्रभुता का गली का शेर है बनाती ,
इनके मुक्त होते ही इनको रक्त का आँसू रुलाती !
आनन्द नन्द नन्द नन्दन का क्रंदन कारक कंस ,
आदत के वशीभूत गया,दिया जब अगनित दंस !
आज भी विभिन्न आदती झेलते है कष्ट ,
नहीं तैयार करने को अपनी आदत को नष्ट !
समय पर चेत रे जन चेत ,
नहीं तो हो ही जाओगे खेत !
नशा नाश है हर पल आ रहा पास है ,
ताश आश पाश सा जकड सर्वनाश है !
जैसे भी कैसे भी इनसे ले लो निजात ,
होगा भविष्य तुम्हारा नहीं खाओगे मात !
आदत तो अपने आप बनायी- बिनासायी जाती है ,
आदत इन्सान जानवर में तो न्यारी न्यारे होती है !
आदत से सुयोधन बन गया दुर्योधन है ,
करता कराता नाश धन मान मन है !
आदत रवि चन्द्र की कर्म धर्म को जताती है ,
गीता भी तो कर्म धर्म फर्ज पर मरना सिखाती है !
आदत मानव को दानव मानव देव बनाती है ,
बैल को नंदी बना शिव शिवा संग पुजाती है !
मान अपमान की जननी का करे सम्मान ,
साद कर्म रत साद आदत से ही बने महान !

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